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रविवार, 27 जून 2021

बकवास-ए-उलूक एक और मील के पत्थर के पार पचास लाख से ऊपर आकर देख गये पन्ना चिट्ठा-ए-उलूक सबका दिल से आभार

 


27 जून 2021 , पृष्ठ दृष्य:
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लिखते लिखते
कहाँ से कहाँ पहुँचा गया
 बकवास-ए-उलूक

पढ़ने
कौन आया कौन नहीं
पता नहीं चला
देखने वाला
आ कर देख गया
घड़ी की सूईं
कुछ आगे को जरा सा खिसका गया

एक दो तीन से होते होते
पचास लाख के पार करा गया
पढ़ने लिखने की बात
कहीं है नहीं
इतना जरूर समझा गया

कुछ तो है
देखने के लायक
पर्दा उठा कर कई बार
उठे पर्दे को गिरा गया
किसी को अंधा सूर याद आया
कोई कबीर कबीर चिल्ला गया

उलट बाँसी की बात कर के कोई
बात अपनी उल्टी सीधी करवा गया
आते रहें जाते रहें बताते रहें समझाते रहें
लिखते लिखाते बकवास ही सही
‘उलूक’ थोड़ा बहुत पढ़ लिखा गया

आभार देखने वालो आपका दिल से
पन्ना चिट्ठा-ए-उलूक
एक और मील के पत्थर से
कुछ आगे
आज आपने जो पहुँचा दिया।
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चित्र साभार: https://www.shutterstock.com/

रविवार, 30 अगस्त 2020

यूं ही लिख कभी बिना सोचे बिना देखे कुछ भी आसपास अपने लाजवाब लिखा जाता है

 


डस्टबिन
मतलब कूड़ेदान

अब
कूड़ा कौन दान करता है
और
कौन ग्रहण
ये तो पता नहीं

पर बजबजा जाता है

ढक्कन
ऊपर उठना शुरु हो जाता है

कितनी भी
कोशिश करो
ना जिक्र किया जाये
कुछ अलग से अच्छा सा कहा जाये

पर कैसे

देखना सुनना महसूस करना
बन्द ही नहीं किया जाता है

कुछ अच्छा
खुद ही कूड़े से परेशान
किसी किनारे से निकल कर

शुद्ध हवा पानी खोजने के लिये
रेगिस्तान में आज के निकल जाता है

उस अच्छे के हाथ कुछ लगता है पता नहीं

पर
सामने से बचे हुऐ कूड़े पर बहुत प्यार आता है

और
लाजवाब कहलाये जाने लायक
लाजवाब सुन्दर बहुत खूब लिख लिया जाता है

लेखक
छंद बंद छोटी कहानी लम्बी कविता
समीक्षा टिप्पणी

साहित्य की
लगी हुई कतार को कूँद फाँद कर
हवा हवाई गुब्बारे बैखौफ उड़ाता है

उसे ना शर्म आती है
ना किसी का लिहाज रह जाता है

कौन समझाये
मूल्यों को समझना परखना लागू करना
स्वयं के ऊपर
इतना आसान नहीं हो पाता है

जितना काले श्यामपट के ऊपर
सफेद चॉक से लकीरें खींच कर लिख लिखा कर
गीले कपड़े से तुरत फुरत पोंछ भी दिया जाता है

लिखने लिखाने पढ़ने पढा‌ने का भी संविधान है ‘उलूक’

पता नहीं किसलिये
तुझे सीमायें तोड़ने में मजा आता है

कोशिश तो कर किसी दिन
दिमाग आँख नाक मुँह बंद करना
और फिर
बिना सोचे समझे कुछ लिखने का

 देख
फिर अपने लिखे लिखाये को

बस
देख कर ही
कितना नशा होता है

और
कितना मजा आता है। 

चित्र साभार: https://www.rediff.com/getahead/slide-show/
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रविवार, 26 जनवरी 2020

चालीस लाख कदम के लिये आभार

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हो सकता है 
यूँ ही घूमने आते होगेंं 
आप 
पर मेरे लिये 
आपका एक कदम इनाम है 
चालीस लाख कदम के लिये 
आभार ।  

ulooktimes.blogspot.com २६/०१/२० के दिन

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भारत मेें 23000 से नीचे । 
आभार।