उलूक टाइम्स: जंजीर
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शनिवार, 7 दिसंबर 2019

खुदने दो कब्र चारों तरफ अपने दूर देश की खबर में मरे को जिंदा कर देने का बहुत कुछ छुपा होता है



हो सकता है 

आवारा 
नजर 
आ रहे हों 

पर 
सच मानिये 

हैं नहीं 

बंधे हुऐ हैं 
पट्टे गले में 

और 
जंजीर भी है 

खूंटे 
से बंधी 
हुई भी 
नहीं है 

हाथ में है 
किसी के 

यानि 
आजादी है 

आने जाने 
की 
साथ में 

जहाँ 
ले जाने 
वाला 
जायेगा 

वहाँ 
तक तो 
कम से कम 

पट्टे 
और 
जंजीर से 

मतलब 
ना 
निकाल 
लिया जाये 

कि 
जानवर 
की ही बात है 

और 
हाथ में है 
किसी के से 
अर्थ 
नहीं निकलता है 

कि 
उसके 
गले में 
नहीं है पट्टा 

पट्टे दर पट्टे 
जंजीर दर जंजीर 

पूरी 
होती है 
एक 
बहुत बड़ी लकीर 

यहाँ से वहाँ 
कहीं
बहुत दूर तक 

जहाँ 
मिलता है 
आसमान 
पहाड़ से 

और 
उससे भी आगे 

समझ में 
जो
नहीं आती है 

फिर भी 
ये 
नासमझी में 

उसी तरह 
लिख दी जाती है 

समझ में 
आ जाती 
तो 
काहे लिखी जाती 

इसीलिये 
बकवास में 
गिनी जाती है 
कही जाती है 

जमाना 
उस 
समझदार का है 

जिसका 
पता ना चले 

उसका 
किस के हाथ में 
सिरा टिका है 

जिसे 
चाहिये होता है 
एक झुंड 

जिसके 
सोचने देखने पूछने कहने 
का हर रास्ता 

उसने 
खुद ही 
बन्द किया होता है 

जंजीर 
के 
इशारे होते हैंं

बँधा हुआ 
इशारे इशारे 
चल देता है 

किसी को 
किसी से 
कुछ नहीं 
पूछना होता है 

हर किसी 
को 

बस अपने 
पट्टे 

और 
अपनी जंजीर 

का 
पता होता है 

चैन 
से 
जीने के लिये 

उसी को 
केवल 
भूलना होता है 

‘उलूक’
पूरी जिंदगी 
कट जाती है 

खबर 
दूर देश की 
चलती चली जाती है 

अपने 
बगल में ही 
खुद रही कब्र 
से 
मतलब रखना 

उसपर 
बहस करना 

उसकी 
खबर को 

अखबार 
तक 

पहुँचने 
देने 
वाले से 

बड़ा बेवकूफ 

कोई 
नहीं होता है । 

बुधवार, 25 मई 2016

नोच ले जितना भी है जो कुछ भी है तुझे नोचना तुझे पता है अपना ही है तुझे सब कुछ हमेशा नोचना

कहाँ तक
और
कब तक

नंगों के
बीच में
बच कर
रहेगा

आज नहीं
कल नहीं
तो कभी
किसी दिन

मौका
मिलते ही
कोई ना
कोई

धोती
उतारने
के लिये
खींच लेगा

कुछ अजीब
सा कोई
रहे बीच
में उनके

इतने दिनों
तक आखिर
कब तक
इतनी
शराफत से

बदतमीजी
कौन ऐसी
यूँ सहेगा

शतरंज
खेलने में
यहाँ हर
कोई है
माहिर

सोचने
वाले प्यादे
को कब
तक कौन
यूँ ही
झेलता
ही रहेगा

कुत्ता खुद
आये पट्टा
डाल कर
गले में
अपने

एक जंजीर
से जुड़ा
कर देने
मालिक के
हाथ में

ऐसा कुत्ता
ऐसा मालिक
आज गली
गली में
इफरात
से मिलेगा

फर्जीपने
की दवाई
बारकोड

ले कर
आ रहे
हैं फर्जी
जमाने के
उस्ताद लोग

फर्जी आदमी
की सोच में
बारकोड
लगा कर
दिखाने को
कौन क्या और
किससे कहेगा

‘उलूक’
आज फिर
नोच ले
जितना भी
नोचना है
अपनी
सोच को

उसे भी
पता है
तू जो भी
नोचेगा

अपना ही
अपने आप
खुद ही
नोचेगा ।


चित्र साभार: worldartsme.com

सोमवार, 4 फ़रवरी 2013

मदारी छोड़ रहा है का राग क्यों गा रहा है नया सीख कर क्यों नहीं आ जा रहा है


बहुत से मदारी
ताजिंदगी
एक 
ही बंदर से काम चलाते हैं

इसीलिये
जमाने की दौड़ में बस
यूँ ही पिछड़ते चले जाते हैं

मेरा मदारी 
भी सुना है
अब समझदारी 
कहीं से सीख के आ रहा है

कहते सुना 
मैने उसे
अब 
मेरे नाच में मजा नहीं आ रहा है
वो एक नये बंदर को ट्रेनिंग देने
चुपचाप 
कहीं कहीं कभी कभी आ जा रहा है

जंजीर और 
रस्सियों को
करने वाला वो दरकिनार है
जमाना कब से 
वाई फाई का हुआ जा रहा है
उसकी अक्ल में
अब ये बहुत अच्छी तरह से घुस पा रहा है

रस्सी से तो 
एक समय में 
एक ही बंदर को नचाया जा रहा है
बंदर भी दिख जा रहा है
रस्सी को भी वो छुपा नहीं पा रहा है

 ई-दुनियाँ में 
देखिये
कितना 
मजा आ रहा है
सब कुछ पर्दे के पीछे से ही चलाया जा रहा है

बंदर और मदारी
दोनो का एक साथ दीदार हुआ जा रहा है

लेकिन
किसने 
मदारी बदल दिया
और
किसके पास 
नया बंदर आ रहा है
इसका अंदाज कोई भी नहीं लगा पा रहा है

इन
सब के बीच
गौर करियेगा जरा

मेरा
सीखा 
सिखाया हुआ नाच
कितनी बेदर्दी से डुबोया जा रहा है

दिमाग वालों को कम
देखने वालों को ज्यादा
बारीकी से 
ये सब
समझ में 
आ जा रहा है ।

चित्र साभार: https://www.istockphoto.com/