फिर से
हो गया
एक शतक
और
वो भी पुराने
किसी का नहीं
इसी का
और इसी
साल का
जनाब
क्रिकेट नहीं
खेल रहा है
यहाँ कोई
ये सब
हिसाब है
लिखने
लिखाने के
फितूर के
बबाल का
करते नहीं
अब शेर कुछ
करने दिया
जाता भी नहीं
कुछ कहीं
जो भी
होता है
लोमड़ियों
का होता है
हर इंतजाम
दिखता
भी है
बाहर ही
बाहर से
बहुत ही
और
बहुत ही
कमाल का
हाथियों
की होती
है लाईन
लगी हुई
चीटिंयों
के इशारे पर
देखने
लायक
होता है
सुबह से लेकर
शाम तक
माहौल उनके
भारी भरकम
कदमताल का
मन ही मन
नचाता है
मोर भी ‘उलूक’
सोच सोच कर
मुस्कुराते हुऐ
जब मिलता
नहीं जवाब
कहीं भी
देखकर
अपने
आस पास
सभी के
पिटे पिटाये से
चेहरों के साथ
बंद आँख और
कान करके
चुप हो जाने
के सवाल का ।
चित्र साभार: www.dreamstime.com
हो गया
एक शतक
और
वो भी पुराने
किसी का नहीं
इसी का
और इसी
साल का
जनाब
क्रिकेट नहीं
खेल रहा है
यहाँ कोई
ये सब
हिसाब है
लिखने
लिखाने के
फितूर के
बबाल का
करते नहीं
अब शेर कुछ
करने दिया
जाता भी नहीं
कुछ कहीं
जो भी
होता है
लोमड़ियों
का होता है
हर इंतजाम
दिखता
भी है
बाहर ही
बाहर से
बहुत ही
और
बहुत ही
कमाल का
हाथियों
की होती
है लाईन
लगी हुई
चीटिंयों
के इशारे पर
देखने
लायक
होता है
सुबह से लेकर
शाम तक
माहौल उनके
भारी भरकम
कदमताल का
मन ही मन
नचाता है
मोर भी ‘उलूक’
सोच सोच कर
मुस्कुराते हुऐ
जब मिलता
नहीं जवाब
कहीं भी
देखकर
अपने
आस पास
सभी के
पिटे पिटाये से
चेहरों के साथ
बंद आँख और
कान करके
चुप हो जाने
के सवाल का ।
चित्र साभार: www.dreamstime.com