उलूक टाइम्स: हाथी
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मंगलवार, 26 मई 2015

शतक इस साल का कमाल आस पास की हवा के उछाल का

फिर से
हो गया
एक शतक

और
वो भी पुराने
किसी का नहीं

इसी का
और इसी
साल का

जनाब
क्रिकेट नहीं
खेल रहा है
यहाँ कोई

ये सब
हिसाब है
लिखने
लिखाने के
फितूर के
बबाल का

करते नहीं
अब शेर कुछ
करने दिया
जाता भी नहीं
कुछ कहीं

जो भी
होता है
लोमड़ियों
का होता है
हर इंतजाम

दिखता
भी है
बाहर ही
बाहर से

बहुत ही
और
बहुत ही
कमाल का

हाथियों
की होती
है लाईन
लगी हुई
चीटिंयों
के इशारे पर

देखने
लायक
होता है
सुबह से लेकर
शाम तक

माहौल उनके
भारी भरकम
कदमताल का

मन ही मन
नचाता है
मोर भी ‘उलूक’

सोच सोच कर
मुस्कुराते हुऐ

जब मिलता
नहीं जवाब
कहीं भी
देखकर
अपने
आस पास

सभी के
पिटे पिटाये से
चेहरों के साथ

बंद आँख और
कान करके
चुप हो जाने
के सवाल का ।

चित्र साभार: www.dreamstime.com

गुरुवार, 9 अप्रैल 2015

किसे मतलब है और होना भी क्यों है अगर एक बददिमाग का दिमाग शब्दों से हल्का हो रहा होता है

हाथी होने का
मतलब एक
बड़ी चीज होना
ही जरूरी
नहीं होता है
किसी चींटी
का नाम भी
कभी किसी ने
हाथी रखा
होता है
दुधारू गाय को
किसी की कोई
मरा हुआ हाथी
कभी कह देता है
परेशान होने की
जरूरत
नहीं होती है
अखबार में
जो होता है
उससे बड़ा सच
कहीं नहीं होता है
चिढ़ किसी
को लगती है
खुश होना चाहिये
चिढ़ाने वाले को
अजीब सी बात
लगती है जब
आग लगाने
वाला ही नाराज
हो रहा होता है
झूठ के साथ
एक भीड़ का
पता भी होता है
बस इसी सच
का पता
बेवकूफों को
नहीं होता है
भौंकते रहते हैं
भौंकने वाले
हमेशा ही
काम करने
वाला अपनी
लगन से ही
कर रहा होता है
लगे रहो लिखने
वाले अपने
हिसाब से कुछ
भी लिखने के लिये
जल्लाद का शेयर
हमेशा मौत से
ज्यादा चढ़
रहा होता है
शेरो शायरी में
दम नहीं होता है
‘उलूक’ तेरी
तू भी जानता है
तेरे सामने ही
तेरा अक्स ओढ़
कर भी सब कुछ
सरे आम
नंगा हो रहा
होता है ।
चित्र साभार: www.clipartof.com

मंगलवार, 20 जनवरी 2015

खुली बहस होने से अच्छा बंद आँखों से देखना होता है किताबों से बाहर की एक बात जब किसी दिन बताई जाती है

एक लम्बे अर्से से
कूऐं की तलहटी
से मुँडेर तक की
छोटी सी उछाल में
सिमटी हुई जिंदगी
रंगीन हो जाती है
जब एक कूऐं से
होते होते सोच
एक दूसरे कूऐं में
दूर जाकर कहीं
डूब कर तैर कर
नहा धो कर आती है
कई नई बातें सीखने
को मिलती हैं और
कई पुरानी बातों की
असली बात निकल
कर सामने आती है
जरूरी होता है पक्ष
में जाकर बैठ जाना
उस समय जब विपक्ष
में बैठने से खुजली
शुरु हो जाती है
बहस करने की
बात कहना ही एक
गुनाह के बराबर होता है
उस समय जब
अनुशाशन के साथ
शाशन के मुखोटे
बैचने वालों के
चनों में भूनते भूनते
आग लग जाती है
आ गया हो फिर
समय एक बार
दिखाने का अक्ल से
घास किस तरह
खाई जाती है
लोकतंत्र का मंत्र
फिर से जपना
शुरु कर चलना
शुरु कर चुकी होती हैं
कुछ काली और
कुछ सफेद चींंटियाँ
अखबार के सामने
के पन्ने रेडियो
दूर दर्शन में
हाथी दिखाई जाती है
बहुत छोटी होती है
यादाश्त की थैलियाँ
चींंटियों के आकार के
सामने कहाँ कुछ
याद रहता है
कहाँ कुछ याद करने
की जरूरत ही रह जाती है
कृष्ण हुऐ थे
किस जमाने में
और इस जमाने में
गीता सुनाई जाती है
कतारें चींंटियों की
फिर लगेंगी युद्ध
होने ना होने की
बातें हो ना हों
दुँदुभी हर किसी
के हाथ में
बिना आवाज
की बजती
दिखाई जाती है
मेंढकी खयाल ही
सबसे अच्छा
खयाल होता है
अपने कुऐं में
वापस लौट कर
आने पर बात पूरी
समझ में आती है ।

चित्र साभार: www.shutterstock.com

शनिवार, 15 मार्च 2014

होली को होना होता है बस एक दिन का सनीमा होता है

मित्रों के
लिये कम
दुश्मनों से
गले मिलने
के लिये
कुछ ज्यादा
होनी होती है
होली कई 
कई सालों
के गिले शिकवे
दूर करने की
एक मीठी सी
गोली होती है
बस एक दिन
के लिये
“आप” होते हैं
एक “हाथ”
में “कमल”
एक हाथ
में “लालटेन”
भी होनी होती है
“हाथी” की सूँड
से रंगों की बरसात
हरे सफेद नारंगी
रंग के “तिरंगे”
को “लाल” रंग
से सलामी
लेनी होती है
सफेद टोपी
किसी की भी हो
रंग भरी हो
आड़ी तिरछी हो
सभी के सिर पर
होनी होती है
“साईकिल” के
सवारों की
मेजबानी “कार”
वालों को
लेनी होती है
कहीं “गैससिलेण्डर”
कहीं “पतंग”
कहीं कहीं
जेब काटने
की “कैंची”
एक होनी
होती है
एक दिन
ही होता है
बिना पिये
जिस दिन
हर किसी
को भाँग
चढ़ी होनी
होती है
नेता कौन
अभिनेता कौन
मतलब ही नहीं
होना होता है
जनता हूँ
जनता को
एसा कुछ भी
कहीं भी नहीं
कहना होता है
बस एक ही दिन
प्यार मनुहार और
गिले शिकवे दूर
करने के लिये
होना होता है
जिसके होने को
हर कोई “होली”
होना कहता है
ना हरा होना
होता है ना
लाल होना होता है
जो होना होता है
बस काला और
सफेद होना होता है
एक दिन के
कन्फ्यूजन से
करोड़ों को
हजारों दिन
आगे के लिये
रोना होता है
होली हो लेती
है हर बार
चढ़े हुए रंगों
को उतरना
ही होता है
बाकी के
पाँच साल
का हर दिन
“उलूक”
देश की
खाल खीँचना
और
निचोड़ना
होता है
बुरा होता
भी है तो
बुरा नहीं
लगना होता है
होली की
शुभकामनाऐं
ले दे कर
सबको सब से
"बुरा ना मानो होली है"
बस कहना
होता है ।

शनिवार, 26 अक्तूबर 2013

कोयलों में हीरा देखने का भी तमीज होता है !

हीरा तो होता ही
है कोयले का
अपररूप
बस दिखने में
कुछ अलग होता है
खूबसूरत होता है
हाथ की अंगूठी में
गले के हार में
जड़ा होता है
वो बात अलग है
रसायन के ज्ञान
के हिसाब से
तत्व सब में
कार्बन ही होता है
आदमी के गणित
के हिसाब से
कहीं भी
कुछ भी
कैसे भी
अगर होता है
तो किसी के भले
के लिये ही होता है
झूठ महाभारत में
युधिष्ठर ने तक
जब बोला होता है
कोयलों में से
एक कोयला
उठा कर
कोई उसे
हीरा कह
देता है
तो भी
कुछ नहीं
कहीं होना
होता है
कहने वाला
इतना भी
बेवकूफ नहीं
होता है
कहने के बाद
कोयले को
हीरे की बाजार
में जो क्या
भेज देता है
कोयले को
कोयलों में ही
रहने दे कर
नाम हीरा
दे देता है
अश्वथामा
मारा गया
किंतु हाथी
कहना भी
जरूरी नहीं
होता है ।

शुक्रवार, 3 अगस्त 2012

बाहर कर लिया /अब अंदर जायेंगे

खबर आई है आज
सब टेंट हटाये जायेंगे
टेंट वाले जो जो हैं
अन्दर पहुँचाये जायेंगे
अन्दर जा कर होगा क्या
ये अन्दर से ही बतायेंगे
अन्दर वाले उसके बाद
क्या बाहर फेंके जायेंगे
या बाहर से अन्दर घुसने
से वो रोके जायेंगे
सारी की सारी बातें
हम तुमको आज
अभी नहीं बतायेंगे
अन्दर भेजे तो जायेंगे
पर धक्के कौन लगायेंगे
सफेद टोपियों को अब
रंगने का कारोबार चलायेंगे
एक भाई से गेरूआ रंग
उसमें करवायेंगे
दूसरे भाई से हरा रंग
भरने का काम करायेंगे
चाचा जी से सफेद टोपी
पर तिरंगा बनवायेंगे
इनको अंदर जाने देंगे
हम उद्योग लगायेंगे
अपने अपने घर को
सब बाहर  वाले जायेंगे
घर में जाकर घरवालों
का ही तो हाथ बटायेंगे
कुछ फिर से अपनी
साईकिल चलायेंगे
कुछ जाकर हाथी की
पीठ पर चढ़ जायेंगे
फूल वाले फूल का
गुलदस्ता बनायेंगे
हाथ हिलाने वाले लोग
अब भी हाथ हिलायेंगे
खबर आई है आज
सब टेंट हटाये जायेंगे
टेंट वाले जो जो हैं
अन्दर पहुँचाये जायेंगे ।

बुधवार, 11 जुलाई 2012

हाथी के निकलते अगर पर

चींटी की जगह
हाथी के अगर
पर निकलते
तो क्या होता
क्या होता
वही होता
जो अकसर
हुआ करता है
जिसे सब
आसानी से
मान जाते हैं
और अपना
दिमाग फिर
नहीं लगाते हैं
मतलब मंजूरे
खुदा होता
पर सुना है
जब पर
निकलते हैं
तो चीटीं मर
जाती है
दुबारा कहीं
नजर नहीं
कभी आती है
तो हाथी भी
क्या उड़ते
उड़ते मर जाता
अब हाथी
मरता तो पक्का
नजर आता
ऊपर से गिरता
तो पता नहीं
कितनो को
अपने साथ
ऊपर ले जाता
सुबह सुबह
अखबार के
फ्रंट पेज पर
भी फोटो के
साथ आ जाता
चींटी की खबरे
अखबार छुपा
भी ले जाता
तो किसी को
क्या पता
चल पाता
चींटी को
दफनाना तो
छोटी सी
लकड़ी से
हो जाता
पर हाथी
दफनाने के
लिये उतनी
ही बड़ी मशीन
कोई कहाँ से
ला पाता
खाली पीली
एक्स्पोज
नहीं हो जाता
अच्छा है
चींटी का ही
पर निकलता है
और किसी को
पता भी नहीं
कुछ चलता है ।

रविवार, 27 मई 2012

एहसानमंद

एक बूढ़ा और
उसकी बुढ़िया
के एहसानो के
तले मैंने जब
अपने को गले
गले तक दबा
हुआ पाया
कुछ तो
करना ही
चाहिये उनके
लिये मेरे मन
में विचार
एक आया
हालत उनकी
देख कर
देखा नहीं
जा रहा था
एक चल नहीं
पा रहा था
दूसरे से
दाँत टूटने
के कारण
खाया ही
नहीं जा
रहा था
पैसे बच्चों
को देने से
बच्चे बिगड़
जाते हैं
किताबों में
लिखा है
आस पास
में उदाहरण
भी बहुत
मिल जाते हैं
बूढे़ लोग भी
उम्र के इस
पडा़व में
आकर बच्चे
जैसे ही तो
हो जाते हैं
ऎसा करता हूँ
समुद्र के
किनारे से
सौ कोस
दूर टापू
में एक
बडा़ सा
महल
बनाता हूँ
दोनो के
आने जाने
के लिये
दो दो
हाथी भी
रख कर
आता हूँ
खाने के
लिये एक
जहाज भर
कर अखरोट
पहुँचाता हूँ
कुछ धन
उनके नाम
से अपने
खाते में
हर महीने
जमा
करवाता हूँ
उपर वाला
जैसे ही उनको
बुलाता है
मैं समुद्र किनारे
एक मंदिर
बनवाता हूँ
उसमें दोनो
की मूर्ति
लगवाकर
माला फूलों की
पहनाता हूँ ।

गुरुवार, 12 अप्रैल 2012

टीम स्प्रिट

चलो एक
दल बनायें
चलो देश
को बचायें

कांंग्रेस
भाजपा
सपा बसपा
सबको मिलायें

हाथ में कमल
को खिलायें
साईकिल को
हाथी पर चढ़ायें

चलो लोगों
को बतायें
एक रहने के
फायदे गिनायें

चलो
घंटियां बजाये
चुनाव
बंद करवायें

चलो
खर्चा बचायें
जो बचे
बांट खायें

चलो
ईमानदारी
दिखायें

चलो
उल्लू बनायें

चलो
दिल से
दिल मिलायें

चलो
प्रेम की
भाषा सिखायें

चलो
मिल कर
घूस खायें

चलो
अन्ना को
भगायें

चलो
लोकपाल
ले कर आयें
केजरीवाल
को फसांये

चलो
अब तो
समझ जायें
हंसी अपनी
ना उड़वाये

आडवाणी जी
का हाथ
सोनिया जी
को दे
कर आयें

चलो
सामने
तो आयें
पीछे पीछे
ना मुस्कायें

चलो
एक
दल बनायें

चलो
देश
को बचायें।

गुरुवार, 8 मार्च 2012

उ0 प्र0 2012

आधी बकवास 'उलूक' की आज के 'अमर उजाला' के पेज 9 पर छपी है बाकी बची खुची कहो पूरी कहो यहाँ नीचे पड़ी है।

बड़ी
मुश्किल से
हाथी काबू
में आया है
अगले पाँच
साल के लिये
बांध कर के
सुलाया है

महावत ही
खा रहा था
हाथी का खाना
बच ही नहीं
पा रहा था
कुछ उसके
अपने ही
परिवार के
लिये दाना

महावत
आज बहुत
खुश नजर
आ रहा था

अपनी
छकड़ा
साईकिल
निकाल कर
बहुत इतरा
रहा था

अगले
पाँच साल
वो साइकिल
में जाया करेगा

हाथी बेचारा
बैठे बैठे सूँड
हिलाया करेगा

मेरा कुछ
हो पायेगा
मुझे कुछ भी
नहीं मालूम
टूटे हाथ में
कमल मेरे
पहले की तरह
मुर्झाया करेगा

चार हजार
करोड़ के साथ
थोड़ा और कुछ
ही खा पाया था
हाथी सुना है

बचा हुवा
साईकिल की
रिपेयर में
काम आया करेगा

श्रीमती मेरी
दूध सब्जी गैस
के दामों पर
अभी भी चिल्लायेगी

क्या पता दीदी
की जगह भतीजे
को देख अब
वो मुस्कुरायेगी

आओ दुवा करो
मेरे साथ आप भी
मिलकर वोटरो

साईकिल बिना
रिपेयर के
पाँच साल
चल ही जायेगी
पैट्रोल के बिल
दिखा कर
एन आर एच एम
की कहानी
कम से कम फिर से
नहीं दोहरायेगी

कुछ बेकसूर
लोगो को
यूँ ही मौत
की नीद
असमय ही
ना सुलायेगी

अमन चैन
ना भी ला सकी
उसके सपने
तो दे ही जायेगी।

रविवार, 5 फ़रवरी 2012

गाय

हाथी बंदर मे
वो बात कहाँ
जो गाय और
बैल में है

गाय हमारी
माता है

हमको कुछ
नहीं आता है

बैल हमारा
बाप है

नम्बर देना
पाप है

बचपन से
सुनते आये हैं

गाय वाकई में

भारतीय है
बैल थोड़ा
चीनी
दिखाई
देता है

इसलिये
बैल कहीं
नहीं
दिखाई देता है


आदमी
की बात

जो नहीं
सोच पाता है

वो गाय से
समझाता है


गाय कभी
नहीं बताती

अपना धर्म
बैल ने भी
नहीं कहा

कभी वो
चीनी है


गाय बैल
के नाम

लड़ाई
मत करो


मुझे
बताओ ना

गाय के
बच्चा होता है

कैल्शियम
कैसे दिया

जाता है
उसे बच्चा

होने के बाद
और क्यों

कोई बतायेगा?

गुरुवार, 2 फ़रवरी 2012

हाथी का स्वागत है।

पेडो़ के कटने से
जंगल के हटने से
हाथी परेशान है
खाने की कमी है
इसलिये गांव की
तरफ रुझान है
आदमी से टकरा रहा है
आदमी उसको
जंगल को भगा रहा है
मैदान में घमासान है
पहाड़ तो पहाड़ हैं
रह गये सिर्फ हाड़ हैं
खबर कुछ नई
इस प्रकार है
हाथी भी अब
पहाडो़ पर आने
को तैयार है
ये खुशी की बात है
यहां जगह की
बहुत इफरात है
आदमी को पहाड़
से वैसे भी क्या
काम है
हाथी यहाँ आयेगा
चैन की बंसी बजायेगा
आदमी वैसे भी
यहां बहुत दिनो
तक अब नहीं
टिक पायेगा
सरकार का सर दर्द
भी जायेगा
फिर गैरसैंण कोई
नहीं चिल्लायेगा
जंगल को बचायेंगे
हाथी का पहाड़ मे
बड़ा घर बनायेंगे
कुछ खुद ही चले
जा रहे हैं पहाड़ से
बचे कुचे लोगों को
मिलकर हम भगायेंगे
पहाड़ को बचायेंगे।