उलूक टाइम्स

शुक्रवार, 18 जुलाई 2014

बहुत समय है फालतू का उसे ही ठिकाने लगा रहे हैं

भाई जी
क्या बात है
आजकल दिखाई
भी नहीं देते हो
हम तो रोज
उसी रास्ते पर
चल रहे हैं
उसी तरह से
सदियों से
आप क्यों अपने
रोज ही रास्ते
बदल देते हो
आया जाया करो
देखा दिखाया करो
तबियत बहल जाती है
हमारी तो इस तरह
आप भी कुछ
अपनी भी तो
कभी बहलाया करो
मिलोगे नहीं तो
अलग थलग
पड़ जाओगे
भूल जायेंगे लोग
याद ही नहीं आओगे
बताओ तो जरा
कहाँ रह जाते हो
आजकल
कुछ खबर ही
नहीं मिलती
पूछ्ते रहते हैं
हम सब से
अपने अगल
और बगल
कोई कह रहा था
कुछ नये अजीब से
काम से लगे हो
बताओ हम भी सुने
क्या नया खोदने
और बोने में लगे हो
अजी कुछ भी नहीं
बस कुछ नहीं
करने के तरीके
खोजने की कोशिश
जैसी हो रही है
तुम्हारे रास्तों में
अब हमारी जरूरत
किसी को भी जरा
सा भी नहीं हो रही है
एक नये रास्ते पर
अब लोग आ जा रहे हैं
जिनको कुछ नहीं
आता है जरा भी
उनसे कुछ नहीं
ढेर सारा लिखवा रहे हैं
हम भी हो लिये हैं
साथ भीड़ में घुसकर
कुछ नहीं पर कुछ कुछ
लिखना लिखाना
बस करा रहे हैं ।