उलूक टाइम्स: जुलाई 2021

शनिवार, 31 जुलाई 2021

लूट के रास्ते खुल गये बेहया करें पैसे वसूल ‘उलूक’ अपनी फितरत से लिखता चल महीने भर सारा ऊल जलूल



ना हिंदी आती है
ना उर्दू ही आती है
बात है
कि फिर भी
पेट से चढ़ कर
गले तक पहुँच जाती है

बाहर फेंकने का तजुर्बा
सब को नहीं होता है
निगल लेते हैं ज्यादातर
सभी मान कर
कि
पीने से
कौन सा जान चली जाती है

बेहयाई
कितनी करे कोई
शरीफों के बीच में रहकर
चिकनी मिट्टी ही जब
पानी पीना शुरु हो जाती है

घड़े भी हैं
सुराहियाँ भी दिखती हैं
सजी हुई दुकान दर दुकान
पीने वाले की नजर
काँच के गिलास पर ही जाती है

ये कोई नया तजुर्बा नहीं है
इतिहास में हैं
कई पन्नों की गवाहियाँ
लिखी दिखाई दे जाती हैं

बे‌ईमानों को जरूरी होता है
एक ईमानदार सिपाही रखना
गोलियों के खर्च के हिसाब की बही
सबके पास पाई जाती है

मौतें किसको गिननी होती है
अखबार की खबर
कुछ ले दे कर
सब का सब हिसाब लगा कर
सुबह ले ही आती है

‘उलूक’ अपने महीने का
खयाल रखता है
गालियों से शुरु करी कमाई
गालियों पे ही खर्च कर दी जाती है

समझ में आना
और समझ में नहीं आने में
किस लिये लगना हुआ
रोटियाँ सिकती रहती हैं
आग़ इधर भी और उधर भी
लगाई ही जाती है ।

चित्र साभार: https://www.dreamstime.com
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बुधवार, 28 जुलाई 2021

बेशरम ‘उलूक’ है शरम किसी की तीमारदार है खरीददार रखियेगा


बेशरम
कुछ दिन शाँति रही
फिर आ गया लिखने
शरम
कह दे मुआफ करियेगा

समझ में
आ गया तो ठीक
नहीं भी आया तो भी ठीक
कह ले
दिल साफ रखियेगा

बताना
जरूरी है
काम दिये गये और किये गये कुछ
जरूर कुछ हिसाब रखियेगा

बात
समझानी है
कुत्ता घुमाने के काम की
हजूर
कान खोल कर जरा साफ रखियेगा

बहुत
बड़ी है मगर है
तमन्ना है
कुछ कर दिखाने की
सब की होती है याद रखियेगा

हाथ में
दी जाती है
बस पूँछ कुत्ते की
सम्भाल कर
रखने के लिये
उसके बालों के लिये
खिजाब रखियेगा

किसी के
हाथ में सिर दिया जाता है
किसी को पट्टा
किसी को दी जाती है चेन
होशो हवाश रखियेगा

कुत्ता
घुमाने का काम
कभी हो तो कैसे हो
मिलते नहीं
सभी एक साथ
डर है
आदेश है एक सरकार है
जी ओ की किताब रखियेगा

लिखना लिखाना
लिख दिया गया है
किसी का किसी को बताना
गजब है
बहूत ही असरदार है
कुछ ख्वाब रखियेगा

किसी के लिखे का
किसी का
कभी भी ना देख पाना

‘उलूक’ अंधा है
या
किसी की आँख बीमार है
याद रखियेगा ।

चित्र साभार: https://www.dreamstime.com/

बुधवार, 21 जुलाई 2021

रोके गये अन्दर कहीं खुद के छिपाये हुऐ सारे बे‌ईमान लिख दें

 



रुकें थोड़ी देर
भागती जिंदगी के पर थाम कर
थोड़ी सी सुबह थोड़ी शाम लिख दें

कोशिश करें
कुछ दोपहरी कुछ अंधेरे में सिमटते
रात के पहर के पैगाम लिख दें

फिर से शुरु करें
सीखना बाराहखड़ी
ठहर कर थोड़ा कुछ किताबों के नाम लिख दें

रोकें नहीं
सैलाब आने दें
इससे पहले मिटें धूल में लिखे सारे सुर्ख नाम
चलो खुद को खुलेआम बदनाम लिख दें

छान कर
लिख लिया कुछ कुछ कभी कुछ कभी
कभी बेधड़क होकर अपने सारे किये कत्लेआम लिख दें

किसलिये झाँके
सुन्दर लिखे के पीछे से एक वीभत्स चेहरा
आईने लिखना छोड़ दें
पर्दे गिरा सारा सभीकुछ सरेआम लिख दें 

उनको
लिखने दें ‘उलूक’
सलीके से अपने सलीके
 खुल कर बदतमीजियां अपनी
बैखोफ होकर अपने हमाम लिख दें ।

चित्र साभार: https://www.clipartmax.com/

शनिवार, 17 जुलाई 2021

सब जगह है अंडर वर्ल्ड सब जगह है डी कम्पनी बुरा ना माने होली नहीं भी है तो भी

 



एक
लम्बा अनुभव
कुछ नहीं का
कहीं भी नहीं का
बहुत कुछ सिखा जाता है

खुजली रोकना सीखने का योग
बस यहीं और यहीं सीखा जाता है

फिर भी
कितना रोक लेगा ‘उलूक’
खुजलाना

कुछ दिन
मुँह बंद करने के बाद
फिर से यहाँ
कुछ
अनर्गल बकने के लिये आ जाता है

कुछ
लिख दीजिये
कल
मेरी बारी है कहने वालों से
कुछ
नहीं कहा जाता है

लिखने वाले
बारी वाले
सभी से बचने के लिये ही तो
लिखने लिखाने से
दूर चला जाना
अच्छा माना जाता है

उसे
वो पसंद है
उसका दिखायेगा
उसे
वो नापसंद है
उसके लाये हुऐ में
वो
कहीं नजर नहीं आयेगा

पता नहीं
बेवकूफ
बकवास करने वाला
साहित्यकारों
की जुगलबंदी में
किस लिये घुसना चाहता है

कभी
कुछ अच्छा सा
लिख क्यों नहीं लेता होगा
सुकून
देने वाली प्रेम कहानियाँ

उसे
कहाँ पता चलता है
कहानियाँ
सजाने वालों में से ही
कोई एक
लेखकों
के बीच की
प्रेम कहानियाँ बना कर
कुछ
लिखा ले जाता है

कोई नहीं
दुकाने
चलती रहनी जरूरी है
क्या
बिक रहा है
कौन
बेच रहा है से
किसे
मतलब रखना होता है

देश
जब चल रहा है

ये
तो एक
चिट्ठों का
बही खाता है।

चित्र साभार: https://www.dreamstime.com/

बुधवार, 7 जुलाई 2021

‘उलूक’ लिखता है बहुत कुछ दिखता है खुद की चार सौ बीसी कहाँ कब लिख पाता है है कहीं आईना जो बताता है

 



एक ने
दो के कान मे
फुसफुसाया

लिखे लिखाये को
गौर से देख
लिखे लिखाये से 
लिखने वाले के बारे में
 सब कुछ पता हो जाता है

दो ने
किसी एक
लिखने लिखाने वाले को
खटखटाया

जी मैंने कुछ लिखा है
कुछ आप ने मेरे बारे में
मुझे अब तक क्यों नहीं है बताया

अजब गजब संसार है
चिट्टों और चिट्ठाकारों का

लिखना लिखाना
चिट्ठे टिप्पणी
चर्चा
लिंक लेना लिंक देना
पसंद अपनी अपनी

अपने हिसाब से
करीने से लिखने लिखाने को
प्रमाण पत्र दे कर आभारी कर करा लेना

अब दो को
कौन समझाये
कि
लिखने वाला
कभी अपनी कहानी
किसी को नहीं बताता है

कहीं से
एक आधा या पूरा घड़ा लाकर
यहाँ फोड़ जाता है

सबसे बड़ा बेवकूफ
वो है
जिसे लिखे लिखाये पर
लेखक का चेहरा नजर आता है

सच कह रहा हूँ
कब से लिख रहा हूँ
इधर का उधर का लाकर
यहाँ फैलाता हूँ

एक भी पन्ना देख कर
आप नहीं कह पायेँगे

‘उलूक’ के लिखे लिखाये से
वो चार सौ बीस
जानता है अपने बारे में
कि वो है

कोई दिखा दे उसके
किसी
लिखे पन्ने पर
उसका
चार सौ बीस लिखा
हस्ताक्षर नजर अगर उसे आता है





शनिवार, 3 जुलाई 2021

कुछ है भी कुछ के लिये कुछ के लिये कुछ कुछ नहीं है तो भी क्या होता है



शब्दकोष में
बस एक शब्द है
कुछ

और इस
कुछ पर
शुरु हुआ चिट्ठा
किसी दिन
कुछ पर अटक कर सटक जायेगा

कुछ से
कुछ कुछ होता हुआ
कुछ सही कुछ नहीं
देखता सुनता

खड़े खड़े या पड़े पड़े
या फिर सड़े सड़े से
गुजरता खीजता खीसेँ निपोरता
कहीं किसी बियाबान में खो जायेगा

सब लिखने वाले
कुछ लिखते ही हैं

ये कुछ ही बहुत कुछ होता है
कुछ को पता होता है
कुछ पता करते हुऐ कुछ
कुछ कुछ कह लेतें है
कुछ नहीं कह पातें है
बहुत कुछ सह लेते हैं

लिखने वाले को पता होता है
कुछ लिख लिखा कर लपेट लेने से
कुछ नहीं होता है

कुछ हुऐ को
कुछ नहीं हुऐ का विज्ञापन
अपने अन्दर यूँ ही
कुछ कुछ समेट लेता है

पूरा चिट्ठा
अपनी एक पूरी जिन्दगी में
थोड़ा कुछ सहेज लेता है

जब भी कुछ हुऐ पर
कुछ कहना चाहता है
लिखने वाला

उसे भी पता होता है
करने वाले को
अपने करने कराने पर
गर्व होता है

और बेशरम लिखने वाला
उस गर्व से डरा डरा
सच झूठ के तराजू के पलड़ों को
कुछ शब्दों की आड़ लगा कर
संतुलित कर लेने के वहम के साथ
कुछ कह दिया के भ्रम के साथ
जी लेता है

‘उलूक’ जानता है
बहस टिप्पणी उदाहरण
संदेश समीक्षा संतुलन
व्यवहार चर्चा समाचार
चिट्ठा कहो ब्लॉग कहो

कतार लगाने से
कुछ नहीं होता है
लकीर सब जानते हैं
फकीर सब को पता है
वही एक होता है
उसे कुछ कहने कहाने
लिखने लिखाने
पढ़ने पढ़ाने से
कुछ नहीं होता है।


चित्र साभार: http://www.clipartpanda.com/