उलूक टाइम्स: सितंबर 2021

रविवार, 26 सितंबर 2021

ताजा खबर है आई है अभी

 


घूल हटे आँखों से
और कागज से भी
कोई कोशिश तो करे पलटने की
पन्ने को
यूँ ही कभी

कोहरा धूल नहीं होता है
पता होता है
जम भी जाता है चश्मा चश्मा
काँच एक से होते हैं सभी

उनको पता होता है
कोई रोज पढ़ लेता है उन्हें आकर
लिख कर नहीं जाता है
कुछ भी कभी

 वो कभी नहीं जाते हैं
कुछ भी पढ़ने किसी गली मोहल्ले
इश्तिहार दीवार में लगे
कभी या अभी

कई दिन तक कुछ लिखो या ना लिखो
कुछ फर्क नहीं पड़ता है
पूछ लो लिखने वालों से कभी

आज लिख के रख जाओ धूप में
कुछ सूखने के लिये
बारिश आयेगी हटा लेना
उस समय तभी

 लिखना एक रस्म है पढ़ना दूसरी
किस लिये लिखना पढ‌ना एक साथ
अच्छा है समझ लें सभी

उलूक
फिर कुछ
लिखने आ गया आज
कुछ नहीं जैसा आदतन
बदलेगा भी नहीं कुछ कभी

बहुत कुछ पर
लिखने वाले सुना है
पूछे जा रहे हैं आजकल हर जगह
ताजा खबर आई है अभी 

चित्र साभार:
https://www.canstockphoto.com/


सोमवार, 13 सितंबर 2021

एक चेहरा एक शख्सियत जरूरी है सामने रखना बेचने के लिये अंदर बाहर का सारा सब कुछ लगाये बिना कोई भी नकाब

 

खाली सफेद पन्ने का
सामने से भौंकना मुँह पर
मुहावरा नहीं है सच है जनाब

समझ में नहीं आया ना
आयेगा
अगर एक साफ सफेद पन्ने से
कभी रूबरू होंगे आप

कुछ शब्द कुछ यादें शब्दों की
बचपन से आज तक की
एक मास्टर और उसकी सौंटी से
बजते हाथ के साथ कान लाजवाब

कपड़े हमेशा आये समझ में
ढकने वाली एक ढाल झूठ को
सच समझ में आया हमेशा
कपड़े उतारी हुई
सारी शख्सियत साफ साफ

मुस्कुराइयेगा नहीं दर्खास्त है
दबा लीजियेगा हंसी भी
अगर कोशिश करे निकलने की
किसी कोने से होंठो के

दर्द कटे का
व्यंग यूँ ही नहीं बनता है
सब जानते हैं सबको पता है
बैखौफ रहना खता है
खुश रहिये बेहिसाब

कुछ प्लास्टिक जलने की
गंध सी है माहौल में
कौन जानता है
जल रहा है
बहुत कुछ अंदर से कहीं
और जल रहा है बेहिसाब

किसे पड़ी है किसे सोचना है
बर्बाद कर दूँगा सब कुछ
की घोषणा कर देने वाले के
खौफ के साये में में जब हैं
गद्दी नशीन साहिबे जनाब

‘उलूक’
एक चेहरा
एक शख्सियत
जरूरी है सामने रखना

बेचने के लिये 
अंदर बाहर का सारा सब कुछ
लगाये बिना
कोई भी नकाब ।

चित्र साभार: https://m.facebook.com/

गुरुवार, 9 सितंबर 2021

एक कबूतर लिख एक कबूतर खाना लिख गुटरगूं लिख चोंच लड़ाना लिख

 

मय लिख मयखाना लिख
कुछ पीना लिख  कुछ पैमाना लिख

दिन हो गये कुछ नहीं लिखे
लिख ले किसी दिन सारा जमाना लिख

नियम लिखने लिखाने के रहने दे
बेखौफ लिख 
लेखक एक दीवाना लिख

किस ने रोकना है लिखने लिखाने को
एक बन्दूक लिख 
एक बंदर को डराना लिख

गलत है बंद हो जाना कोटर में
मत पहन
एक रखा हुआ पैजामा लिख

अच्छा नहीं है कुछ नहीं लिखना
कुछ लिख
लिखने वालों का कुछ इतराना लिख

रहने दे मत लिख 
कबूतर उड़ाने वालों की बात
लिख एक कबूतरखाना लिख

लिखने लिखाने को लिख धूप दिखा
धुएं धुएं में धुएं का धुआं हो जाना लिख

कहीं भी नहीं है जब
वो जिसे जहां होना होता है
लिख कुछ हुआ 
लिख कुछ हो रहा
लिख
कल के  कुछ होने का 
हो जाना  लिख

‘उलूक’
फोड़ कुछ 
फोड़ सकता है
होना कुछ भी नहीं है किसी से
कुछ फोड़ ले
बच गया कुछ चोंच लड़ाना लिख

चित्र साभार: https://www.alamyimages.fr/