उलूक टाइम्स

बुधवार, 26 अगस्त 2015

दे भी दे बचा आधा भी बचा कर कहाँ ले जायेगा

आधा बचा
कर क्यों
रखा है
पूरा बांट
क्यों नहीं
देता है
अभी भी
ज्यादा
कुछ नहीं
बिगड़ा है
एक उधर
एक इधर ही
बस उखड़ा
उखड़ा है
नहीं बाँटेगा
तो तीसरा
चौथा भी
खड़ा हो
जायेगा
सब खड़े
हो गये तो
बाँट भी
नहीं पायेगा
पहले वाले
आधों के हाथ
भी क्या कुछ
आ पाया है
बाकी आधों
के लिये भी
कहाँ क्या
कुछ बचा
बचाया है
दे दे इसे
भी कुछ
कुछ उसे भी
निपटा दे
इस बार
बचे हुऐ
आधे को भी
सब बँट
बँटा जायेगा
बबाल ही
खत्म हो
जायेगा
सबके पास
होगा थोड़ा थोड़ा
हर कोई उसका
एक बिल्ला
बना कर
सीने से अपने
लगायेगा
झगड़े की
जड़ ही
नहीं रहेगी
एक और
दासता से
देश एक बार
और आजाद
हो जायेगा
‘उलूक’ भी
एक सौ आठ
रुद्राक्ष के
दानों की
माला लिये
किसी सूखे
पेड़ की सबसे
ऊँची डाल
पर बैठ जायेगा
नाम तेरा
जपेगा जोर से
जपते जपते
शायद तर
भी जायेगा ।

चित्र साभार: www.canstockphoto.com