उलूक टाइम्स

सोमवार, 24 नवंबर 2014

कुछ करने वाले खुद नहीं लिखते हैं अपने किये कराये पर किसी से लिखाते हैं

कुछ मत
कह ना
लिखने
दे ना

लिख ही तो
रहें हैं
कुछ
कर तो
नहीं रहे हैं

वैसे भी
जो करते हैं
वो
ना लिखते हैं
ना लिखे हुऐ
को पढ़ते हैं

गीता पर
दिये गये
कृष्ण भगवान
के कर्म
के संदेश
को अपने
दिल में
रखते है

बीच बीच
में लिखने
वाले को
याद दिलाते हैं
अपना खुद
काम पर
लग जाते हैं

करने के
साथ साथ
लिख लेने
वाले भी
कुछ हुआ
करते हैं

लिख लेने
के बाद
कर लेने
वाले कुछ
हुआ करते हैं

अब
अपवाद
तो हर
जगह ही
हुआ
करते हैं

करने वाले
को हम
कौन सा
रोक पाते हैं

करते हुऐ
देखते हैं
और
लिखने के
लिये आ
जाते हैं

लिख
लेने से
करने वालों
पर कोई
प्रभाव नहीं
पढ़ता है

उनके करने
कराने
पर कहानी
बनाने वाले
कुछ अलग
तरह के लोग
अलग जगह
पर पाये
जाते हैं

वो ही
करने वालों
के करने
पर लिखते
चले जाते हैं

जिसे
सारे लोग
पढ़ते भी हैं
और
पढ़ाते भी हैं
जिसे
सारे लोग
समझते भी हैं
और
साथ में
समझाते भी हैं

‘उलूक’ के
लिखे को
ना ये
पढ़ते हैं
ना वो
पढ़ते है

करने वालों
के करने
का लिखना
तू जा कर
पढ़ ना

कुछ नहीं
करने वाले से
तुझे क्या
लेना देना
उसे लिखने
ही दे ना ।

चित्र साभार: becuo.com