उलूक टाइम्स: ठर्री
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रविवार, 12 मार्च 2017

होली ठैरी होला ठैरा ठैरा तो ठैरा ठैरा ठैरा ठैरी छोड़ ठर्रा ठर्री क्यों कहना ठैरा

अब होली
तो होली ठैरी
सालों साल
से होरी ठैरी

होली पर
ध्यान लगाओ
ठैरा क्या ठैरा
ठैरी क्या ठैरी
से दिमाग हटाओ

हर साल आने
वाली ठैरी
हर बार
चली जाने
वाली ठैरी

रंग उड़ाने
रंग मिलाने
वाली ठैरी

कबूतर कौए
हो जाने
वाले ठैरे
रंग मिलाओ
मिलाकर
इंद्रधनुष बनाओ

ये क्या ठैरा
सब हरा पीला
लाल गुलाबी
काला कर जाओ

ठंड रखो
ठंडाई चढ़ाओ
चढ़ी गरमी
उतार भगाओ

जो हो गया
सो हो गया
आकाश से उतरो
जमीन पर आओ

होली खेलो
गोजे खाओ
रंग लगवाओ
रंग लगाओ

होली ठैरी
शुभ ही होने
वाली ठैरी

शुभकामनाएं
ले जाओ
मंगल होये
शहर होये
जंगल होये
मंगलकामनायें
कुछ दे ही जाओ

जैसी भी ठैरी
होने वाली ठैरी
होने दो रंग
बहने दो
रहने दो
कपड़ों की चिंता

धोबी तो
धोबी ही ठैरा
गधा कभी
इस धोबी का
गधा कभी
उस धोबी का ठैरा

ये सब तो
होने वाला ठैरा
गधा कपड़े
बस ले जाने
वाला ठैरा

गधे का मत
हिसाब लगाओ

धोबी देखो
कपड़े देखो
रंग चढ़ा
उतरवाना ठैरा

गधों से
अब तो
ध्यान हटाओ

होली तो
होली ठैरी
होली होने
वाली ठैरी

रंग चढ़ाओ
भंग चढ़ाओ

ठैरा तो
ठैरा ठैरा
ठैरा ठैरी
पीछे छोड़ो

कहाँ बटा
कहाँ बट रहा
जर्रे में कुछ
पकड़ा ठैरा
जर्रे जर्रे में
बटा ठैरा

उत्सव के
माहौल में
बीती ताही
बिसार दे
कहना  
ठैरा 

बस उस ठर्रे
की कुछ
खबर सुनाओ

बाकि सब
क्या कहना ठैरा
नमन करो
शीश नवाओ

ठैरा ठैरी की
होली ठैरी
आने जाने
वाली ठैरी
मौज मनाओ
ही कहना ठैरा।

चित्र साभार: India Today