बहुत लिखा है कहते हैं लोग 
खुद पता नहीं है क्या और कितना लिखा
खुद पता नहीं है क्या और कितना लिखा
लिखने पर आ गई बात 
इतना ही पता है रोज का रोज कुछ आ लिखा
 इतना ही पता है रोज का रोज कुछ आ लिखा
क्या लिखा है पता होता काश 
होश में लिखा होता अगर कभी कुछ यहाँ आ कर
होश में लिखा होता अगर कभी कुछ यहाँ आ कर
जब भी लिखा 
लिखने के बाद लगा हमेशा
लिखने का बस
जनाजा लिखा
 लिखने के बाद लगा हमेशा
लिखने का बस
जनाजा लिखा
बहुत गजब का लिखते हैं लोग 
खुद धनुष होते हैं तीर लिखते ही नहीं
खुद धनुष होते हैं तीर लिखते ही नहीं
खबर लिखने की फैलाते हैं उनके लिखे का 
बिना देखे
जिंदा लिखा या मरा लिखा
 बिना देखे
जिंदा लिखा या मरा लिखा
लिखना किसी का किसी बात पर 
बहुत ही जरूरी है
बस इसलिये
बहुत ही जरूरी है
बस इसलिये
कि होना कुछ नहीं होता है मरे हुऐ से 
किसी ने अगर लिख भी दिया
उसने कुछ जिंदा लिखा
 किसी ने अगर लिख भी दिया
उसने कुछ जिंदा लिखा
कुछ नहीं होता है पढ़कर उस लिखे पर 
जो होता है खुद का किया हमेशा
जो होता है खुद का किया हमेशा
लिखने वाले रोज मरते हैं रोज जीते हैं 
लिखना लिखाना तू कर और बता
तूने तो खुदा लिखा
 लिखना लिखाना तू कर और बता
तूने तो खुदा लिखा
‘उलूक’ लाशें कफन में लिपटी हुए एक चीज होती है 
क्यों सोचना
क्यों सोचना
चलते हुऐ बहुत से लोग भी 
लाशें होने की महारत रखते हैं
लाशें होने की महारत रखते हैं
डरना नहीं 
याद रखना कुछ चेहरे अपनी सोच में अपने आस पास के
याद रखना कुछ चेहरे अपनी सोच में अपने आस पास के
उनकी दुआओं के ताबीज की ढाल में देखना 
तेरे लिये सलाम लिखा ।
तेरे लिये सलाम लिखा ।
चित्र साभार: https://www.pngfind.com/