उलूक टाइम्स

शनिवार, 14 मार्च 2015

तेरे लिखे हुऐ में नहीं आ रहा है मजा

बहुत कुछ लिख रहे हैं
बहुत ही अच्छा
बहुत से लोग यहाँ
दिखता है आते जाते
लोगों का जमावाड़ा वहाँ
कुछ लोग कुछ भी
नहीं लिखते हैं
उनके वहाँ ज्यादा
लोग कहते हैं आओ
यहाँ और यहाँ
क्या किया जा सकता है
उस के लिये जब
किसी को देखना पड़ता है
जब चारों ओर का धुआँ
सोचना पड़ता है धुआँ
और मजबूरी होती है
लिखना भी पड़ता है
तो बस कुछ धुआँ धुआँ
रोज कोई ना कोई
खोद लेता है अपने लिये
कहीं ना कहीं एक कुआँ
किस्मत खराब कह लो
या कह लो कुछ भी तो
नहीं है कहीं भी कुछ हुआ
अच्छा देखने वाले
अच्छे लोगों के लिये
रोज करता है कोई
बस दुआ और दुआ
दिखता है सामने से
जो कुछ भी खुदा हुआ
कोशिश होती है
छोटी सी एक बस
समझने की कुछ
और समझाने की कुछ
फोड़ना पड़ता है सिर
‘उलूक’ को अपने लिये ही
आधा यहाँ और आधा वहाँ
होता किसी के आस पास
वो सब कहीं भी नहीं है
जो होता है
अजीब सा हमेशा
कुछ यहाँ
और कुछ वहाँ
देखने वालों की जय
समझने
वालों की जय
होने देने
वालों की जय
ऊपर वाले
की जय जय
उसके होने का
सबूत ही तो है
जो कुछ हो रहा है
यहाँ और वहाँ ।