शब्दकोष में
बस एक शब्द है
कुछ
कुछ
और इस
कुछ पर
शुरु हुआ चिट्ठा
किसी दिन
कुछ पर अटक कर सटक जायेगा
कुछ पर अटक कर सटक जायेगा
कुछ से
कुछ कुछ होता हुआ
कुछ सही कुछ नहीं
देखता सुनता
खड़े खड़े या पड़े पड़े
या फिर सड़े सड़े से
गुजरता खीजता खीसेँ निपोरता
कहीं किसी बियाबान में खो जायेगा
सब लिखने वाले
कुछ लिखते ही हैं
ये कुछ ही बहुत कुछ होता है
कुछ को पता होता है
कुछ पता करते हुऐ कुछ
कुछ कुछ कह लेतें है
कुछ नहीं कह पातें है
बहुत कुछ सह लेते हैं
लिखने वाले को पता होता है
कुछ लिख लिखा कर लपेट लेने से
कुछ नहीं होता है
कुछ हुऐ को
कुछ नहीं हुऐ का विज्ञापन
अपने अन्दर यूँ ही
कुछ कुछ समेट लेता है
पूरा चिट्ठा
अपनी एक पूरी जिन्दगी में
थोड़ा कुछ सहेज लेता है
जब भी कुछ हुऐ पर
कुछ कहना चाहता है
लिखने वाला
उसे भी पता होता है
करने वाले को
अपने करने कराने पर
गर्व होता है
और बेशरम लिखने वाला
उस गर्व से डरा डरा
सच झूठ के तराजू के पलड़ों को
कुछ शब्दों की आड़ लगा कर
संतुलित कर लेने के वहम के साथ
कुछ कह दिया के भ्रम के साथ
जी लेता है
‘उलूक’ जानता है
बहस टिप्पणी उदाहरण
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चिट्ठा कहो ब्लॉग कहो
कतार लगाने से
कुछ नहीं होता है
लकीर सब जानते हैं
फकीर सब को पता है
वही एक होता है
उसे कुछ कहने कहाने
लिखने लिखाने
पढ़ने पढ़ाने से
कुछ नहीं होता है।
चित्र साभार: http://www.clipartpanda.com/