उलूक टाइम्स

गुरुवार, 9 मई 2019

लिखना जरूरी है होना उनकी मजबूरी है कभी लिखने की दुकान के नहीं बिके सामान पर भी लिख


ये

लिखना भी

कोई
लिखना है

उल्लू ?

कभी

आँख
बन्द कर के

एक
आदमी में

उग आये

भगवान
पर
भी लिख

लिखना
सातवें
आसमान
पहुँच जायेगा

लल्लू

कभी

अवतरित
हो चुके

हजारों
लाखों

एक साथ में

उसके

हनुमान
पर भी
लिख

सतयुग
त्रेता द्वापर

कहानियाँ हैं

पढ़ते
पढ़ते
सो गया

कल्लू ?

कभी
पतीलों में

इतिहास
उबालते

कलियुग
के शूरवीर

विद्वान
पर
भी लिख

शहीदों
के जनाजे
के आगे

बहुत
फाड़
लिये कपड़े

बिल्लू

कभी
घर के
सामान

इधर उधर
सटकाने में
मदद करते

बलवान
पर
भी लिख

विष
उगलते हों

और

साँप
भी
नहीं हों

ऐसा
सुने और
देखे हों

कहीं
और भी

तो
चित्र खींच

चलचित्र
बना
फटाफट

यहाँ
भी डाल

निठल्लू

पागल होते

एक
देश के
बने राजा के

पगलाये

जुबानी
तीर कमान

पर
भी लिख

बे‌ईमानों
को
मना नहीं है

गाना
बाथरूम में

गा
लिया कर
नहाते समय

वंदे मातरम

‘उलूक’

मैं
निकल लूँ

अखबारों
में
रोज की
खबर में

शहर के
दिख रहे

नंगों
और
शरीफों के

शरीफ
और नंगे
होने के

अनुमान

पर
भी लिख ।

चित्र साभार: www.shutterstock.com