उलूक टाइम्स

मंगलवार, 22 जुलाई 2014

दुकानों की दुकान लिखने लिखाने की दुकान हो जाये

क्या ऐसा भी
संभव है
कि किसी दिन
लिखने लिखाने
के विषय ही
खत्म हो जायें
क्या लिखें
किस पर लिखें
कैसे लिखें
क्यों लिखें
जैसे विषय भी
दुकान पर किसी
बिकना शुरु हो जायें
लिखने लिखाने
के भी शेयर बनें
और स्टोक मार्केट में
खरीदे और बेचे जायें
लेखकों के बाजार हों
लेखकों की दुकान हों
लेखकों के मॉल हों
लेखक माला माल हों
लेखक ही दुकानदार हों
लेखक ही खरीददार हों
माँग और पूर्ति
के हिसाब से
लिखने लिखाने की
बात होना शुरु हो जाये
जरूरतें बढ़े
लिखने लिखाने
पढ़ने पढ़ाने की
लेखक व्यापारी और
लेखन बड़ा एक
व्यापार हो जाये
सपने देखने से
किसने किसको
रोका है आज तक
क्या पता
माईक्रोसोफ्ट या
गूगल की तरह
लिखना लिखाना
सरे आम हो जाये
‘उलूक’ नजर अपनी
गड़ाये रखना
क्या पता तेरे लिये भी
कभी अपनी उटपटांग
सोच के कारण ही
किसी लिखने लिखाने
वाली कम्पनी के
अरबपति सी ई ओ
होने का पैगाम आ जाये ।
(लेखकों की राय
आमंत्रित है
'उलूक' नहीं
गूगल पूछ रहा है
आजकल सबको
मेल भेज भेज कर :) )