उलूक टाइम्स

गुरुवार, 24 जुलाई 2014

जिज्ञासाओं को शांत करने के लिये कुछ भी कर लिया जाता है

अब
सब की
अपनी अपनी
सोच

अपनी
तरह की होती है

एक
की आदत
एक तरह की

तो
दूसरे की
दूसरे तरह
की होती है

क्या
किया जाये
अगर
कोई तुमसे
रोज ही
रास्ते में
टकराता है

अपना होता है
दुआ सलाम
करता है
और
मुस्कुराता है

बस एक
छोटी सी
बात को
समझना

जरा
मुश्किल सा
हो जाता है

जब
तुम्हारे ही
बारे में

कुछ
प्रश्नों का
एक प्रश्नपत्र
बना कर

तुम्हारे
ही पड़ोसी से

सड़क पर
कहीं
पूछ्ना शुरू
हो जाता है

पड़ोसी
बेचारा
जब हल नहीं
ढूँढ पाता है

गूगल
करके भी
हार जाता है

तुम्हारे
अपनों के
प्रश्नो के

प्रश्न पत्र
को लेकर

तुमसे ही
हल
करवाने
के लिये

कुछ फूल
मिठाई लेकर
सुबह सुबह

तुम्हारे ही
घर पहुँच
जाता है ।