कभी
अखबार
को देखते हैं
कभी
अखबार
में छपे
समाचार
को देखते हैं
पन्ने
कई होते हैं
खबरें
कई होती हैं
पढ़ने वाले
अपने
मतलब के
छप रहे
कारोबार
को देखते हैं
सीधे चश्मे से
सीधी खबरों
पर जाती है
सीधे साधों
की नजर
केकड़े कुछ
टेढ़े होकर
अपने जैसी
सोच पर
असर डालने
वाली
टेढ़ी खबर
के टेढ़े
कलमकार
को देखते हैं
रोज ही कुछ
नया होता है
हमेशा खबरों में
आदत के मारे
कुछ पुरानी
खबरों
से बन रहे
सड़
रही खबरों
के अचार
को देखते हैं
‘हिन्दुस्तान’
लाता है
कभी कभी
कुछ
सदाबहार खबरें
कुछ
आती हैं
समझ में
कुछ
नहीं आती हैं
समझे बुझे
ऐसी खबरों
के खबरची
खबर छाप कर
जब अपनी
असरदार
सरकार को
देखते हैं
‘उलूक’
और
उसके
साथी दीमक
आसपास की
बाँबियों के
चिलम
लिये हाथ में
फूँकते
समय को
उसके धुऐं से
बन रहे छल्लों
की धार
को देखते हैं ।
चित्र साभार: दैनिक ‘हिंदुस्तान’ दिनाँक 21 जनवरी 2018
अखबार
को देखते हैं
कभी
अखबार
में छपे
समाचार
को देखते हैं
पन्ने
कई होते हैं
खबरें
कई होती हैं
पढ़ने वाले
अपने
मतलब के
छप रहे
कारोबार
को देखते हैं
सीधे चश्मे से
सीधी खबरों
पर जाती है
सीधे साधों
की नजर
केकड़े कुछ
टेढ़े होकर
अपने जैसी
सोच पर
असर डालने
वाली
टेढ़ी खबर
के टेढ़े
कलमकार
को देखते हैं
रोज ही कुछ
नया होता है
हमेशा खबरों में
आदत के मारे
कुछ पुरानी
खबरों
से बन रहे
सड़
रही खबरों
के अचार
को देखते हैं
‘हिन्दुस्तान’
लाता है
कभी कभी
कुछ
सदाबहार खबरें
कुछ
आती हैं
समझ में
कुछ
नहीं आती हैं
समझे बुझे
ऐसी खबरों
के खबरची
खबर छाप कर
जब अपनी
असरदार
सरकार को
देखते हैं
‘उलूक’
और
उसके
साथी दीमक
आसपास की
बाँबियों के
चिलम
लिये हाथ में
फूँकते
समय को
उसके धुऐं से
बन रहे छल्लों
की धार
को देखते हैं ।
चित्र साभार: दैनिक ‘हिंदुस्तान’ दिनाँक 21 जनवरी 2018