उलूक टाइम्स

सोमवार, 24 सितंबर 2018

बेकार की ताकत फालतू में लगाकर रोने के लिये यहाँ ना आयें

पता नहीं
ये मौके
फिर

कभी और
हाथ में आयें

चलो
कुछ भटके
हुओं को

कुछ और
भटकायें

कुछ
शरीफ से
इतिहास

पन्नों में
लिख कर लायें

बेशरम सी
पुरानी
किताबों को

गंगा में
धो कर के आयेंं

करना कराना
बदसूरत सा
अपना ना बतायें

खूबसूरत तस्वीरें
लाकर गलियों
में फेंक आयें

अच्छा लिखा
अच्छे आदमी
अच्छी
महफिल सजायें

तस्वीरें
झूठी समय की

समय की
नावों में रख
कर के तैरायें

अपने थाने
अपने थानेदार

अपने गुनाह
सब भुनायें

कल बदलती
है तस्वीर

थोड़ा उधर
को चले जायें

मुखौटे ओढ़ें नहीं
बस मुखौटे
ही खुद हो जायें

आधार पर
आधार चढ़ा कर
आधार हो जायें

मौज में
लिखे को
समझने के
लिये ना आयें

सारी बातें
सीधे सीधे
लिखकर
बतायें

‘उलूक’
जैसों की
बकबक को
किनारे लगायें

सच
का मातम
मनाना भी
किसलिये

खुश होकर
मिलकर
झूठ का
झंडा फहरायें ।

चित्र साभार: https://www.colourbox.com/