उलूक टाइम्स

रविवार, 27 नवंबर 2011

सब की पसंद

मछलियों को
बहलाता फुसलाता
और बुलाता है
वो अपने आप
को एक बड़ा
समुंदर बताता है
पानी की एक बूंद
भी नहीं दिखती
कहीं आसपास
फिर भी ना जाने
क्यों हर कोई उसके
पास जाता है
मर चुकी
उसकी आत्मा
कभी सुना
था बुजुर्गों से
कत्ल करता है
कलाकारी से
और जीना
सिखाता है
अधर्मी हिंसंक
झूठा है वो
पंडालों में
पूजा जाता है
जमाना आज का
सोच कर
उसको ही तो
गांधी बताता है
देख कर उसे
ना जाने मुझे
भी क्या
हो जाता है
कल ही कह रहा
था कोई यूं ही
कि अन्ना तो
वो ही बनाता है ।