उलूक टाइम्स: मछलियाँ
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शनिवार, 27 जून 2015

मौन की भाषा को बस समझना होता है किसी की मछलियों से कुछ कहना नहीं होता है

बोलते बोलते बोलती
बंद हो जाती है जब
किसी की अपनी ही
पाली पोसी मछलियाँ
तैरना छोड़ कर
पेड़ पर चढ़ना
शुरु हो जाती हैं
वाकई बहुत
मुश्किल होता है
घर का माहौल
घर वालों को
ही पता होता है
जरूरी नहीं
हर घर में किसी
ना किसी को कुछ
ना कुछ लिखना
भी होता है
हर किसी का
लिखा हर कोई
पढ़ने की कोशिश
करे ऐसा भी
जरूरी नहीं होता है
संजीदा होते हैं
बहुत से लोग
संजीदगी ओढ़ लेने
का शौक भी होता है
और बहुत ही
संजीदगी से होता है
मौन रहने का
मतलब वही नहीं
होता है जैसा
मौन देखने वाले
को महसूस होता है
मछलियाँ एक ही
की पाली हुई हों
ऐसा भी नहीं होता है
एक की मछलियों
के साथ मगरमच्छ
भी सोता है
पानी में रहें या
हवा में उड़े
पालने वाला उनके
आने जाने पर
कुछ नहीं कहता है
जानता है मौन रखने
का अपना अलग
फायदा होता है
लंबी पारी खेले हुऐ
मौनी के मौन पर
बहुत कह लेने से
कुछ नहीं होता है
कहते कहते खुद
अपनी मछलियों को
आसमान की ओर
उछलते देख कर
बहुत बोलने वाला
बहुत संजीदगी के साथ
मौन हो लेता है
बोलने वाले के साथ
कुछ भी बोल देने वालों
के लिये भी ये एक
अच्छा मौका होता है
ग्रंथों में बताया गया है
सारा संसार ही एक
मंदिर होता है
कर्म पूजा होती है
पूजा पाठ करते समय
वैसे भी किसी को
किसी से कुछ नहीं
कहना होता है
मछलियाँ तो
मछलियाँ होती हैं
उनका करना
करना नहीं होता है ।

चित्र साभार: all-free-download.com

गुरुवार, 20 नवंबर 2014

बहुत कुछ हो रहा होता है पर क्या ? यही बस पता नहीं चल रहा होता है

बहते हुऐ पानी
को देखती हुई
दो आँखें इधर से
गिन रही होती हैं
पानी के अंदर
तैरती मछलियाँ
और उधर से
दो और आँखें
बहते हुऐ पानी
को गिन रही होती हैं
मछलियाँ
गिनना कहना
तो समझ में
आ रहा होता है
उसे भी जो पानी में
देख रहा होता है
और उसे भी जो
गिनती नहीं
जानता है पर
मछलियाँ
मछलियाँ होती हैं
अच्छी तरह
पहचानता है
पानी को गिनने
की बात करना
पानी को कोई
गिन रहा है जैसा
किसी को कहते
हुऐ सुनना और
पानी गिनने की
बात पर कुछ सोचना
किसी को भी
अजीब लग सकता है
लेकिन ऐसी ही
अजीब सी बातें
एक नहीं कई कई
रोज की जिंदगी
में आने लगी हैं
सामने से
इस तरह की बातों को
कोई किस से कहे
कौन सिद्ध करे
अपने दिमाग का
दिवालियापन
बहुत से लोग अब
यही सब करते हैं
समझते हैं और
बहुत आसान होता है
ऐसा महसूस होता है
क्योंकि ऐसा एक नहीं
कर रहा होता है
बल्कि एक दो को
छोड़ कर हर कोई
इसी चीज को लेकर
एक दूसरे को समझ
और समझा रहा होता है
‘उलूक’ परेशान होकर
पानी के सामने
अपने कैल्कुलेटर की
पुरानी बैटरी को
नई बैटरी से
बदल रहा होता है
सारा का सारा पानी
बह कर उसके ही
सामने से निकल
रहा होता है
क्या किया
जा सकता है
कुछ लोगों की
फितरत ऐसी
ही होती है
वो कुछ नहीं
कर सकते हैं
और उनसे
कभी भी
कुछ भी
नहीं होता है ।

चित्र साभार: cwanews.com

शनिवार, 30 अगस्त 2014

कभी ‘कुछ’ कभी ‘कुछ नहीं’ ही तो कहना है

अच्छी तरह पता है
स्वीकार करने में
कोई हिचक नहीं है
लिखने को पास में
बस दो शब्द ही होते हैं
जिनमें से एक पर
लिखने के लिये
कलम उठाता हूँ
कलम कहने पर
मुस्कुराइयेगा नहीं
होती ही नहीं है
कहीं आज
आस पास
किसी के भी
दूर कहीं रखी
भी होती होगी
ढूँढने उसे
जाता नहीं हूँ
प्रतीकात्मक
मान लीजिये
चूहा इधर उधर
कहीं घुमाता ही हूँ
चूहा भी प्रतीक है
गणेश जी के
वाहन का जिसको
कहीं बुलाता नहीं हूँ
माउस कह लीजिये
आप ठीक समझें
अगर हिलाता
इधर से उधर हूँ
खाली दिमाग के
साथ चलाता भी हूँ
दो शब्द में एक
‘कुछ’ होता है
और दूसरा होता है
‘कुछ नहीं’
सिक्का उछालता हूँ
यही बात बस एक
किसी को बताता
कभी भी नहीं हूँ
नजर पड़ती है
जैसे ही कुछ पर
उसको लिखने
के लिये बस कलम
ही एक कभी
उठाता नहीं हूँ
लिखना दवा
होता नहीं है हमेशा
बीमार होना मगर
कभी चाहता नहीं हूँ
मछलियाँ मेरे देश
की मैंने कभी
देखी भी नहीं
मछलियों की
सोचने की सोच
बनाता भी नहीं हूँ
चिड़िया को चावल
खिलाना कहा था
किसी ने कभी
मछलियों को खिलाने
जापान भी कभी
जाता नहीं हूँ
समझ लेते है
‘कुछ’ को भी मेरे
और ‘कुछ नहीं’ को
भी कुछ लोग बस
यही एक बात कभी
समझ लेता हूँ
कभी बिल्कुल भी
समझ पाता नहीं हूँ ।


चित्र: गूगल से साभार ।

रविवार, 27 नवंबर 2011

सब की पसंद

मछलियों को
बहलाता फुसलाता
और बुलाता है
वो अपने आप
को एक बड़ा
समुंदर बताता है
पानी की एक बूंद
भी नहीं दिखती
कहीं आसपास
फिर भी ना जाने
क्यों हर कोई उसके
पास जाता है
मर चुकी
उसकी आत्मा
कभी सुना
था बुजुर्गों से
कत्ल करता है
कलाकारी से
और जीना
सिखाता है
अधर्मी हिंसंक
झूठा है वो
पंडालों में
पूजा जाता है
जमाना आज का
सोच कर
उसको ही तो
गांधी बताता है
देख कर उसे
ना जाने मुझे
भी क्या
हो जाता है
कल ही कह रहा
था कोई यूं ही
कि अन्ना तो
वो ही बनाता है ।