उलूक टाइम्स

सोमवार, 31 अक्तूबर 2016

डेमोक्रेसी को समझ इंदिरा सोच भी मत पटेल के होते हुए


मत करना श्राद्ध उसका
जिसकी सोच में भी दिखे
तुमको वो उनका

इनका ये दिख रहा है
तो तर्पण कर लेना दे देना जल

देशभक्ति मन में होने से कुछ नहीं होता है
दिखानी पड़ती है 
उसकी फोटो लगाकर सामने से
पूजा अर्चना का थाल सजाये हुऐ
अपने को साथ में दिखाकर

हटाना  जरूरी होता है
हर एक के दिमाग से इतिहास
खुद को स्थापित करने के लिये
येन केन प्रकारेण

चोरों और जेबकतरों का इतिहास
कोई नहीं लिखता है
इतिहास पढ़ने पढ़ाने वाले
चोर 
और उठाईगीर हों ये जरूरी नहीं
पर उनके साथ चलते हुऐ
इतिहास 
लिखने में कोई बुराई नहीं होती है

इतिहासकार जानते हैं

‘उलूक’
तुम जो भी पढ़ लिख कर यहाँ तक पहुँच गये हो
उस पर केरोसिन डाल कर आग लगा दो
जरूरी है अब किसी भी सरकार के आने के  बाद 
पुरानी सरकार की बात करना सोचना कहना
देशद्रोह माना जायेगा ।

गुरुवार, 27 अक्तूबर 2016

अंगरेजी में अनुवाद कर समझ में आ जायें फितूर ‘उलूक’ के ऐसा भी नहीं होता है

महसूस
करना
मौसम की
नजाकत
और
समय
के साथ
बदलती
उसकी
नफासत
सबके लिये
एक ही
सिक्के
का एक
पहलू हो
जरूरी
नहीं है

मिजाज
की तासीर
गर्म
और ठंडी
जगह की
गहराई
और
ऊँचाई
से भी
नहीं नापी
जाती है

आदमी की
फितरत
कभी भी
अकेली
नहीं होती है
बहुत कुछ
होता है
सामंजस्य
बिठाने
के लिये

खाँचे सोच
में लिये
हुऐ लोग
बदलना
जानते है
लम्बाई
चौड़ाई
और
गोलाई
सोच की

लचीलापन
एक गुण
होता है जिसे
सकारात्मक
माना जाता है

एक
सकारात्मक
भीड़ के लिये
जरूरत भी
यही होती है
और
पैमाना भी

भीड़ हमेशा
खाँचों में
ढली होती है

खाँचे सोच
में होते हैं
सोच का
कोई खाँचा
नहीं होता है

‘उलूक’
नाकारा सा
लगा रहता है
सोच की
पूँछ पर
प्लास्टर
लगाने
और
उखाड़ने में

हर बार
खाँचा
कुत्ते की
पूँछ सा
मुड़ा हुआ
ही
होता है

दीवारों पर
कोयले से
खींची गई
लकीरों का
अंगरेजी में
अनुवाद भी
नहीं होता है ।

चित्र साभार: Shutterstock