महसूस
करना
मौसम की
नजाकत
और
समय
के साथ
बदलती
उसकी
नफासत
सबके लिये
एक ही
सिक्के
का एक
पहलू हो
जरूरी
नहीं है
मिजाज
की तासीर
गर्म
और ठंडी
जगह की
गहराई
और
ऊँचाई
से भी
नहीं नापी
जाती है
आदमी की
फितरत
कभी भी
अकेली
नहीं होती है
बहुत कुछ
होता है
सामंजस्य
बिठाने
के लिये
खाँचे सोच
में लिये
हुऐ लोग
बदलना
जानते है
लम्बाई
चौड़ाई
और
गोलाई
सोच की
लचीलापन
एक गुण
होता है जिसे
सकारात्मक
माना जाता है
एक
सकारात्मक
भीड़ के लिये
जरूरत भी
यही होती है
और
पैमाना भी
भीड़ हमेशा
खाँचों में
ढली होती है
खाँचे सोच
में होते हैं
सोच का
कोई खाँचा
नहीं होता है
‘उलूक’
नाकारा सा
लगा रहता है
सोच की
पूँछ पर
प्लास्टर
लगाने
और
उखाड़ने में
हर बार
खाँचा
कुत्ते की
पूँछ सा
मुड़ा हुआ
ही
होता है
दीवारों पर
कोयले से
खींची गई
लकीरों का
अंगरेजी में
अनुवाद भी
नहीं होता है ।
चित्र साभार: Shutterstock
करना
मौसम की
नजाकत
और
समय
के साथ
बदलती
उसकी
नफासत
सबके लिये
एक ही
सिक्के
का एक
पहलू हो
जरूरी
नहीं है
मिजाज
की तासीर
गर्म
और ठंडी
जगह की
गहराई
और
ऊँचाई
से भी
नहीं नापी
जाती है
आदमी की
फितरत
कभी भी
अकेली
नहीं होती है
बहुत कुछ
होता है
सामंजस्य
बिठाने
के लिये
खाँचे सोच
में लिये
हुऐ लोग
बदलना
जानते है
लम्बाई
चौड़ाई
और
गोलाई
सोच की
लचीलापन
एक गुण
होता है जिसे
सकारात्मक
माना जाता है
एक
सकारात्मक
भीड़ के लिये
जरूरत भी
यही होती है
और
पैमाना भी
भीड़ हमेशा
खाँचों में
ढली होती है
खाँचे सोच
में होते हैं
सोच का
कोई खाँचा
नहीं होता है
‘उलूक’
नाकारा सा
लगा रहता है
सोच की
पूँछ पर
प्लास्टर
लगाने
और
उखाड़ने में
हर बार
खाँचा
कुत्ते की
पूँछ सा
मुड़ा हुआ
ही
होता है
दीवारों पर
कोयले से
खींची गई
लकीरों का
अंगरेजी में
अनुवाद भी
नहीं होता है ।
चित्र साभार: Shutterstock