महीने
के अंतिम
दिनों के
मुद्दों पर
भारी पड़ती
महत्वाकाँक्षाऐं
अहसास
जैसे
महीने के
वेतन में से
बची हुई
कुछ
भारी खिरची
आवाज
करती हुई
बेबात में
जेब को
ही जैसे
फाड़ने
को तैयार
पुरानी
पैंट की
कच्ची
पड़ती हुई
कपड़े की
जेब से
दिखाई
देती हुई
जमाने
के साथ
चलने से
इंकार
कर चुकी
चवन्नी के
साथ में
एक अठन्नी
जगह
घेरने को
इंतजार करते
दिमाग के
कोने को
अपने अपने
हिसाब से
राशन
पानी
बिजली
गैस दूध
अखबार
सब्जी
टेलिफोन के
बिल के
बिलों के
हिसाब किताब
की हड़बड़ाहट
के साथ
टी वी पर
चलती बहस
लाशें
जलती कहीं
कहीं
दफन होती
कहीं
कानून
कहीं धर्म
आम आदमी
की समस्यायें
उसकी
महत्वाकाँक्षाऐं
उसके मुद्दे
सब गडमगड
थोड़ा देश
थोड़ा
देश भक्ति
के साथ साथ
रसोई
से आती
तेज आवाज
खाना
बन चुका है
लगा दूँ क्या ?
चित्र साभार: www.123rf.com
के अंतिम
दिनों के
मुद्दों पर
भारी पड़ती
महत्वाकाँक्षाऐं
अहसास
जैसे
महीने के
वेतन में से
बची हुई
कुछ
भारी खिरची
आवाज
करती हुई
बेबात में
जेब को
ही जैसे
फाड़ने
को तैयार
पुरानी
पैंट की
कच्ची
पड़ती हुई
कपड़े की
जेब से
दिखाई
देती हुई
जमाने
के साथ
चलने से
इंकार
कर चुकी
चवन्नी के
साथ में
एक अठन्नी
जगह
घेरने को
इंतजार करते
दिमाग के
कोने को
अपने अपने
हिसाब से
राशन
पानी
बिजली
गैस दूध
अखबार
सब्जी
टेलिफोन के
बिल के
बिलों के
हिसाब किताब
की हड़बड़ाहट
के साथ
टी वी पर
चलती बहस
लाशें
जलती कहीं
कहीं
दफन होती
कहीं
कानून
कहीं धर्म
आम आदमी
की समस्यायें
उसकी
महत्वाकाँक्षाऐं
उसके मुद्दे
सब गडमगड
थोड़ा देश
थोड़ा
देश भक्ति
के साथ साथ
रसोई
से आती
तेज आवाज
खाना
बन चुका है
लगा दूँ क्या ?
चित्र साभार: www.123rf.com