किस लिये
इतना
बैचेन
होता है
देखता
क्यों नहीं है
रात पूरी नींद
लेने के बाद भी
वो दिन में भी
चैन की
नींद सोता है
उसकी तरह का ही
क्यों नहीं हो लेता है
सब कुछ पर
खुद ही कुछ
भी सोच लेना
कितनी बार
कहा जाता है
बिल्कुल
भी ठीक
नहीं होता है
नयी कुछ
लिखी गयी
हैं किताबें
उनमें अब
ये सब भी
लिखा होता है
सीखता
क्यों नहीं है
एक पूरी भीड़ से
जिसने
अपने लिये
सोचने के लिये
कोई किराये पर
लिया होता है
तमाशा देखता
जरूर है पर
खुश नहीं होता है
किसलिये
गलतफहमी
पाल कर
गलतफहमियों
में जीता है
कि तमाशे पर
लिख लिखा
देने से कुछ
तमाशा फिर
कभी भी
नहीं होता है
तमाशों
को देखकर
तमाशे के
मजे लेना
तमाशबीनों
से ही
क्यों नहीं
सीख लेता है
शिकार
पर निकले
शिकारियों को
कौन उपदेश देता है
‘उलूक’
पता कर
लेना चाहिये
कानून जंगल का
जो शहर पर लागू
ही नहीं होता है
सुना है
जानवर पैदा कर
खुद के अन्दर
एक आदमी को
मारना गुनाह
नहीं होता है ।
चित्र साभार: shutterstock.com
इतना
बैचेन
होता है
देखता
क्यों नहीं है
रात पूरी नींद
लेने के बाद भी
वो दिन में भी
चैन की
नींद सोता है
उसकी तरह का ही
क्यों नहीं हो लेता है
सब कुछ पर
खुद ही कुछ
भी सोच लेना
कितनी बार
कहा जाता है
बिल्कुल
भी ठीक
नहीं होता है
नयी कुछ
लिखी गयी
हैं किताबें
उनमें अब
ये सब भी
लिखा होता है
सीखता
क्यों नहीं है
एक पूरी भीड़ से
जिसने
अपने लिये
सोचने के लिये
कोई किराये पर
लिया होता है
तमाशा देखता
जरूर है पर
खुश नहीं होता है
किसलिये
गलतफहमी
पाल कर
गलतफहमियों
में जीता है
कि तमाशे पर
लिख लिखा
देने से कुछ
तमाशा फिर
कभी भी
नहीं होता है
तमाशों
को देखकर
तमाशे के
मजे लेना
तमाशबीनों
से ही
क्यों नहीं
सीख लेता है
शिकार
पर निकले
शिकारियों को
कौन उपदेश देता है
‘उलूक’
पता कर
लेना चाहिये
कानून जंगल का
जो शहर पर लागू
ही नहीं होता है
सुना है
जानवर पैदा कर
खुद के अन्दर
एक आदमी को
मारना गुनाह
नहीं होता है ।
चित्र साभार: shutterstock.com