देश जहाँ निरक्षर
को साक्षर बनाता है
वहीं पर साक्षर
सबसे ज्यादा देश
को चूना लगाता है
प्रबंधन को बहुत
आसानी से कुप्रबंधन
बनाया जाता है
हर कहीं ये
दूर दूर से भी
साफ नजर
आ जाता है
व्यापार में जब
कुछ भी आजमाया
जाता है
तो किसी के
दिमाग में ये क्यों
नहीं आता है
कुप्रबंधन संस्थानों
को रोजगार का
जरिया क्यों
नहीं अभी भी
कोई बनाता है
चहेते कुप्रबंधकों
को भी कहीं
नौकरी में घुसा
ले जाता है
प्रबंधन गुरुओं की
खेप में उसे नहीं
मिलाता है
इस तरह की
सोच से देश
को क्यों नहीं
बचा ले जाता है।
को साक्षर बनाता है
वहीं पर साक्षर
सबसे ज्यादा देश
को चूना लगाता है
प्रबंधन को बहुत
आसानी से कुप्रबंधन
बनाया जाता है
हर कहीं ये
दूर दूर से भी
साफ नजर
आ जाता है
व्यापार में जब
कुछ भी आजमाया
जाता है
तो किसी के
दिमाग में ये क्यों
नहीं आता है
कुप्रबंधन संस्थानों
को रोजगार का
जरिया क्यों
नहीं अभी भी
कोई बनाता है
चहेते कुप्रबंधकों
को भी कहीं
नौकरी में घुसा
ले जाता है
प्रबंधन गुरुओं की
खेप में उसे नहीं
मिलाता है
इस तरह की
सोच से देश
को क्यों नहीं
बचा ले जाता है।