हौले हौले से कर आंखे बंद
ध्यान में कुछ लिखना सीख उसके बाद
ध्यान में कुछ लिखना सीख उसके बाद
साध कान को बांध आवाज को
व्यवधान में कुछ लिखना सीख उसके बाद
व्यवधान में कुछ लिखना सीख उसके बाद
बंद कर मुंह दिल में गुनगुना राग सुन बिना आवाज
संधान में कुछ लिखना सीख उसके बाद
संधान में कुछ लिखना सीख उसके बाद
साधक हो जाएगा सधेगा खुद भी
बाधाओं के बाजार लगेंगे
बस तू थोड़ा सा कुछ बिकना सीख
बाधाओं के बाजार लगेंगे
बस तू थोड़ा सा कुछ बिकना सीख
सधी हुई लेखनी से सधा हुआ कुछ लिखा हुआ
सामने कागज पर उतर आएगा
सामने कागज पर उतर आएगा
भीड़ होगी मधुमक्खियों की तरह
जहर के पानदानों के विज्ञापनों में निखरना सीख
जहर के पानदानों के विज्ञापनों में निखरना सीख
सम्मान मिलेगा अनुदान मिलेगा
जुटेंगे लोग मंच में बैठे सद्गुरुओं के मध्य स्थान मिलेगा
थोड़ा सा बस झपटना सीख
जुटेंगे लोग मंच में बैठे सद्गुरुओं के मध्य स्थान मिलेगा
थोड़ा सा बस झपटना सीख
लिख दिया कर ‘उलूक’ उबकाइयां सभी
रोकना क्यों हैं उलटियां होने से पहले
संवेदनाएं कुछ लपकना सीख |
रोकना क्यों हैं उलटियां होने से पहले
संवेदनाएं कुछ लपकना सीख |
चित्र साभार: https://www.dreamstime.com/
आज के दौर में कंठ तक आत्ममुग्धता से भरे हैं अधिकांशतः... सिखाना भले सरल हो पर काश कि सीखना आसान होता ....।
जवाब देंहटाएंसादर प्रणाम सर।
--------
नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार २३ सितंबर २०२५ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
आज के दौर में कंठ तक आत्ममुग्धता से भरे हैं अधिकांशतः... सिखाना भले सरल हो पर काश कि सीखना आसान होता ....।
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नमस्ते,
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पांच लिंकों का आनंद पर...
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सादर
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