उलूक टाइम्स

सोमवार, 23 जून 2014

एक गुलाब और एक लाश पर आप का क्या होगा विचार (आज की परिकल्पना की एक कल्पना पर)

किस पहर 
का
गुलाब 

सुबह सुबह 
पूजा का
समय 
या
ढलती
शाम 

सुर्ख लाल 
सूरज
की
लाली 

या
आँखों में 
उतरता हुआ
खून 

पीला
पड़ा हुआ

या
उजला सफेद
विधवा
हुआ सा 

लाश
जिंदा
या
मरी हुई 

पोस्टमार्टम
करने के 
बाद की
हड़बड़ी 
में
सिली हुई 

सुकून
किस को 
किस तरह का 

खुश्बू का
सड़ांंध का 
मुरझाती हुई 
पँखुड़ियों का

या 
लाश से रिसते हुऐ 
लाल रंग से 
सफेद होते हुऐ 
उसके कपड़े का 

गुलाब एक
पौंधे पर 
हौले से
हवा के 
झोंके से
हिलता हुआ 

लाश पर
बहुत से 
फूलों
और 
अगरबत्तियों 
की
राख से

योगी 
बन सना हुआ 

किसको
अच्छी 
लगती हैं लाशें 

किसको
अच्छे 
लगते हैं गुलाब 

अलग अलग
पहर पर 
एक अलग तरह 
की आग
अलग अंदाज 

कहीं
बस धुआँ 
तो
कहीं राख 

खाली गुलाब 
खाली आदमी 
खाली सोच 

आदमी
के 
हाथ में गुलाब 

अंदर
कुछ 
खोलता हुआ 

बाहर
हाथ में 
सुर्ख होता गुलाब 

अंदर से
धीरे से 
बनती हुई
एक लाश 

किस को
किस की 
ज्यादा जरूरत 

किसकी
किससे 
बुझती हो प्यास 

गुलाब
भी
जरूरी है 
और
लाश भी 

और
देखने समझने 
वाले की
आँख भी 

बस
समझ में 
इतना
आना जरूरी 

लाशें
गुलाब बाँटे 
और
सुर्खी भी 

साथ साथ 
दोनो होना 

संभव
नहीं है 
एक साथ ।