उलूक टाइम्स

शुक्रवार, 12 सितंबर 2014

आज ही पाँच साल पहले शुरु किया था यहाँ आ कर कबूतर उड़ाना


च्यूइंगम को चबा चबा कर
मुँह के अंदर ही अंदर
लम्बा खींच कर बाहर ले आना

फिर लपेटते हुऐ उसे फिर से
मुँह के अंदर कर ले जाना फिर चबाना

कुछ इसी तरह का
लिखने लिखाने के साथ हो जाना

छोटी सी बात का
बतंगड़ बनाते बनाते
बातें बनाने की आदत हो जाना

कुछ ऐसी ही बीमारी का
एक छोटा सा कीटाणु
अंदर ही कहीं सोया हुआ किसी के
किसी को नजर आ जाना

मौका मिलते ही 
उसे काँटा चुभा कर चम्पत हो जाना

एक खतरनाक लेखक का
एक नासमझ के हाथ में
लिखने लिखाने की पिचकारी थमा जाना

एक अनाड़ी का
खिलाड़ियों के खेल पर कमेंटरी
रोज का रोज देकर जाना शुरु हो जाना

खेल का मैदान पर चलते रहना
मैदान की पुरानी घास का
नई हो कर उग जाना

खिलाड़ियों का अनाड़ियों को
रोज पागल बना ले जाना

शुरु होना 
एक भड़ास का कागज पर उतरना

शरम छोड़ कर
भड़ास का ही खुद बेशरम हो जाना

बेबस ‘उलूक’ के हाथ से
बात का निकल जाना

पांंच साल की हर बात का
अपनी जगह पर चले जाना

फिर से एक पुराने उधड़ चुके
कफन का झंडा डंडे पर लगा
अगले पाँच साल की सोचना शुरु हो जाना

ज्यादा नहीं भी 
दो चार के रोज का रास्ता
चलता रहेगा आना जाना

बस यही सोच कर कब्र के ऊपर
दो चार फूलों के बीज छिड़क कर
वापस यहीं आ जाना

च्यूइंगम चबाना
कुछ लम्बा खींच लेना
कुछ गोले मुँह से बनाना ।

चित्र साभार: http://www.illustrationsof.com/