जुम्मा जुम्मा
ले दे के
खीँच खाँच के
हो गये
तीन दिन
नई दुल्हन के
नये नये
नखरे
जैसे मेंहदी
लगे पाँव
दूध से
धुले हुऐ
अब तेज भी
कैसे चलें
पीछे से
पुराने दिन
खींचते हुऐ
अपनी तरफ
जैसे कर रहे हों
चाल को
और भी धीमा
कोई क्या करे
जहाँ रास्ते को
चलना होता है
चलने वाले को
तो बस खड़े
होना होता है
वहम खुद के
चलने का
पालते हुऐ
तीन के तीस
होते होते
मेंहदी उतर
जाती है
कोई पीछे
खींचने वाला
नहीं होता है
चाल
अपने आप
ढीली
हो जाती है
तीन सौ पैंसठ
होते होते
आ गया
नया साल
जैसे नई दुल्हन
एक आने
को तैयार
हो जाती है
चलने वाले को
लगने लगता है
पहुँच गया
मंजिल पर
और
आँखे कुछ
खोजते हुऐ
आगे कहीं
दूर जा कर
ठहर जाती हैं
कम नहीं
लगता अपना
ही देखना
किसी चील
या
गिद्ध के
देखने से
वो बात
अलग है
धागा सूईं
में डालने
के लिये
पहनना
पड़ता हो
माँग कर
पड़ोसी से
आँख का चश्मा
कुछ भी हो
दुनियाँ चलती
रहनी है
पूर्वाग्रहों
से ग्रसित
‘उलूक’
तेरा कुछ
नहीं हो सकता
तेरे को शायद
सपने में भी
नहीं दिखे
कभी
कुछ अच्छा
दिनों की
बात रहने दे
सोचना छोड़
क्यों नहीं देता
अच्छा होता है
कभी चलते
रास्तों से
अलग होकर
ठहर
कर देखना
चलता हुआ
सब कुछ
साल गुजरते
चले जाते हैं
नये सालों
के बाद
एक नये
साल से
गुजरते
गुजरते ।
चित्र साभार: galleryhip.com
ले दे के
खीँच खाँच के
हो गये
तीन दिन
नई दुल्हन के
नये नये
नखरे
जैसे मेंहदी
लगे पाँव
दूध से
धुले हुऐ
अब तेज भी
कैसे चलें
पीछे से
पुराने दिन
खींचते हुऐ
अपनी तरफ
जैसे कर रहे हों
चाल को
और भी धीमा
कोई क्या करे
जहाँ रास्ते को
चलना होता है
चलने वाले को
तो बस खड़े
होना होता है
वहम खुद के
चलने का
पालते हुऐ
तीन के तीस
होते होते
मेंहदी उतर
जाती है
कोई पीछे
खींचने वाला
नहीं होता है
चाल
अपने आप
ढीली
हो जाती है
तीन सौ पैंसठ
होते होते
आ गया
नया साल
जैसे नई दुल्हन
एक आने
को तैयार
हो जाती है
चलने वाले को
लगने लगता है
पहुँच गया
मंजिल पर
और
आँखे कुछ
खोजते हुऐ
आगे कहीं
दूर जा कर
ठहर जाती हैं
कम नहीं
लगता अपना
ही देखना
किसी चील
या
गिद्ध के
देखने से
वो बात
अलग है
धागा सूईं
में डालने
के लिये
पहनना
पड़ता हो
माँग कर
पड़ोसी से
आँख का चश्मा
कुछ भी हो
दुनियाँ चलती
रहनी है
पूर्वाग्रहों
से ग्रसित
‘उलूक’
तेरा कुछ
नहीं हो सकता
तेरे को शायद
सपने में भी
नहीं दिखे
कभी
कुछ अच्छा
दिनों की
बात रहने दे
सोचना छोड़
क्यों नहीं देता
अच्छा होता है
कभी चलते
रास्तों से
अलग होकर
ठहर
कर देखना
चलता हुआ
सब कुछ
साल गुजरते
चले जाते हैं
नये सालों
के बाद
एक नये
साल से
गुजरते
गुजरते ।
चित्र साभार: galleryhip.com