बहुत लिखता है
आसपास रहता है
अलग बात है
लिखता हुआ
कहीं भी नहीं
दिखाई देता है
दिखता है तो
बस उसका
लिखा हुआ ही
दिखाई देता है
क्या होता है
अगर उसके
लिखे हुऐ में
कहीं भी
वो सब नहीं
दिखाई देता है
जो तुझे भी
उतना ही
दिखाई देता है
जितना सभी को
दिखाई देता है
आँखे आँखों में
देख कर नहीं
बता सकती
हैं किसी की
उसे क्या
दिखाई देता है
लिखता बहुत
लाजवाब है
लिखने वाला
हर कोई खुल
कर देता है
बधाई पर
बधाई देता है
बहुत
दूर होता है
फिर भी पढ़ने
वाले को जैसे
लिखे लिखाये में
अपने एक नहीं
हजारों आवाज
देता हुआ
सुनाई देता है
बहुत छपता है
पहले पन्ने को
खोलने का जश्न
हर बार होता है
भीड़ जुटती है
चेहरे के पीछे
के चेहरों को
गिना जाता है
बहुत आसानी से
अखबारों के
पन्नों में छपी
तस्वीरों पर
खबर का मौजू
देखते ही
समझ में
आ जाता है
होगा जरूर
कहीं ना कहीं
खबर में चर्चे में
बस चार लाईन
पढ़ते ही पहले
उसका ही नाम
खासो आम जैसा
दिखाई देता है
अपने देखने से
मतलब रखना
चाहिये ‘उलूक’
जरूरी नहीं
होता है हर
किसी को
खून का रंग
लाल ही
दिखाई देता है ।
चित्र साभार: http://www.clipartpanda.com/categories/seeing-clipart
आसपास रहता है
अलग बात है
लिखता हुआ
कहीं भी नहीं
दिखाई देता है
दिखता है तो
बस उसका
लिखा हुआ ही
दिखाई देता है
क्या होता है
अगर उसके
लिखे हुऐ में
कहीं भी
वो सब नहीं
दिखाई देता है
जो तुझे भी
उतना ही
दिखाई देता है
जितना सभी को
दिखाई देता है
आँखे आँखों में
देख कर नहीं
बता सकती
हैं किसी की
उसे क्या
दिखाई देता है
लिखता बहुत
लाजवाब है
लिखने वाला
हर कोई खुल
कर देता है
बधाई पर
बधाई देता है
बहुत
दूर होता है
फिर भी पढ़ने
वाले को जैसे
लिखे लिखाये में
अपने एक नहीं
हजारों आवाज
देता हुआ
सुनाई देता है
बहुत छपता है
पहले पन्ने को
खोलने का जश्न
हर बार होता है
भीड़ जुटती है
चेहरे के पीछे
के चेहरों को
गिना जाता है
बहुत आसानी से
अखबारों के
पन्नों में छपी
तस्वीरों पर
खबर का मौजू
देखते ही
समझ में
आ जाता है
होगा जरूर
कहीं ना कहीं
खबर में चर्चे में
बस चार लाईन
पढ़ते ही पहले
उसका ही नाम
खासो आम जैसा
दिखाई देता है
अपने देखने से
मतलब रखना
चाहिये ‘उलूक’
जरूरी नहीं
होता है हर
किसी को
खून का रंग
लाल ही
दिखाई देता है ।
चित्र साभार: http://www.clipartpanda.com/categories/seeing-clipart