उलूक टाइम्स

बुधवार, 11 अक्टूबर 2017

बस ज्ञानी हिंदू ही पढ़ें समझ में आ जाये तो लाईक भी करें फिर फार्वर्ड भी करें

सारे शिव
डरपोक
हलाहल
गटके हुऐ
गले गले
नीले पड़े
दिखा रहे हैं
साँपों को

समझा रहे हैं
साँपों को
शाँत रहें
साँप बने रहें

सारे साँप
मौज में हैं
शिव के गले में
माला डाले हुए हैं

हर जगह
शिव ही शिव हैं
हर जगह
साँप ही साँप हैं

डस कोई
किसी को
नहीं रहा है

साँप साँप
के साथ है
और
रह रहा है

परेशान मेंढक
और चूहे हैं
इधर के
साँप से
भी डर है
उधर का साँप भी
निगलने को
तैय्यार है

यहाँ का साँप
वहाँ चला जाता है
बस एक खबर में
चला गया है
कोई बताता है

वहाँ का साँप
यहाँ चला आता है
किसी को कोई
फर्क नहीं
पड़ पाता है

साँप चूहे
छुछूँन्दर
के खेल में
कब कौन साँप
कौन चूहा
कौन छुछून्दर
हो जाता है

‘उलूक’
देखता है
समझता है
बस जानवर
जानवर खेल
नहीं पाता है

आदमी हो लेने
के प्रयास में
मायूस हो जाता है

साँप बना आदमी
आदमी को साँपों
की सोच से डराता है ।

चित्र साभार: Best Clip Art Images