बहुत शोर
होता है
होता है
रोज ही
उसका
जिसमें
कहीं भी
कुछ नहीं
होता है
मेरे कस्बेपन
से गुजरते हुए
बिना बात के
बात ही बात में
शहर हो गये
जैसे शहर में
जिसकी किसी
एक गली में
कोई ऐसा भी
कहीं रहता है
जो ना अपना
पता देता है
किसी को
ना किसी के
पास उसके
होने का ही
कोई पता
होता है
शर्मीला
या खुद्दार
कहने से
भी कुछ
नहीं होता है
दुबला पतला
साधारण
सा पहनावा
और
आठवीं
तक चलने
की बात
बताता
और
सुनाता चला
होता है
कलम के
बादशाह
होने वाले
के पास
वैसे भी
खूबसूरती
कुछ
नाज नखरे
बिंदास
अंदाज और
तख्तो ताज
जैसा कुछ भी
नहीं होता है
ज्यादा
कुछ नहीं
कहना होता है
जब ‘शँभू राणा’
जैसा बेबाक लेखक
कलम का जादूगर
सामने से होता है
शहर है गली है
गाँव है आदमी है
या होने को है कुछ
कहीं बस जिसको
पता होता है
हर चीज की नब्ज
टटोलने का आला
जिसकी कलम में
ही कहीं होता है
कुछ लोग होते हैं
बहुत कुछ होते हैं
जिनको पढ़ लेना
सबके बस में ही
नहीं होता है
कई तमगों
के लिये बने
ऐसे लोगों
के पास ही
इस देश में
कोई तमगा
नहीं होता है ।
उसका
जिसमें
कहीं भी
कुछ नहीं
होता है
मेरे कस्बेपन
से गुजरते हुए
बिना बात के
बात ही बात में
शहर हो गये
जैसे शहर में
जिसकी किसी
एक गली में
कोई ऐसा भी
कहीं रहता है
जो ना अपना
पता देता है
किसी को
ना किसी के
पास उसके
होने का ही
कोई पता
होता है
शर्मीला
या खुद्दार
कहने से
भी कुछ
नहीं होता है
दुबला पतला
साधारण
सा पहनावा
और
आठवीं
तक चलने
की बात
बताता
और
सुनाता चला
होता है
कलम के
बादशाह
होने वाले
के पास
वैसे भी
खूबसूरती
कुछ
नाज नखरे
बिंदास
अंदाज और
तख्तो ताज
जैसा कुछ भी
नहीं होता है
ज्यादा
कुछ नहीं
कहना होता है
जब ‘शँभू राणा’
जैसा बेबाक लेखक
कलम का जादूगर
सामने से होता है
शहर है गली है
गाँव है आदमी है
या होने को है कुछ
कहीं बस जिसको
पता होता है
हर चीज की नब्ज
टटोलने का आला
जिसकी कलम में
ही कहीं होता है
कुछ लोग होते हैं
बहुत कुछ होते हैं
जिनको पढ़ लेना
सबके बस में ही
नहीं होता है
कई तमगों
के लिये बने
ऐसे लोगों
के पास ही
इस देश में
कोई तमगा
नहीं होता है ।