बहुत शोर होता है रोज ही उसका
जिसमें कहीं भी कुछ नहीं होता है
मेरे कस्बेपन से गुजरते हुए
बिना बात के बात ही बात में
शहर हो गये जैसे शहर में
जिसकी किसी एक गली में
कोई ऐसा भी कहीं रहता है
जो ना अपना पता देता है किसी को
ना किसी के पास उसके
होने का ही कोई पता होता है
शर्मीला या खुद्दार
कहने से भी कुछ नहीं होता है
दुबला पतला साधारण सा पहनावा
और आठवीं तक चलने की बात
बताता और सुनाता चला होता है
कलम के बादशाह होने वाले के पास
वैसे भी खूबसूरती कुछ नाज नखरे
बिंदास अंदाज और तख्तो ताज
जैसा कुछ भी नहीं होता है
ज्यादा कुछ नहीं कहना होता है
जब ‘शंभू राणा’ जैसा बेबाक लेखक
कलम का जादूगर सामने से होता है
शहर है गली है गाँव है आदमी है
या होने को है कुछ कहीं
बस जिसको पता होता है
हर चीज की नब्ज टटोलने का आला
जिसकी कलम में ही कहीं होता है
कुछ लोग होते हैं बहुत कुछ होते हैं
जिनको पढ़ लेना
सबके बस में ही नहीं होता है
कई तमगों के लिये बने ऐसे लोगों
के पास ही इस देश में
कोई तमगा नहीं होता है ।
बढ़िया प्रस्तुति सर , धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंInformation and solutions in Hindi ( हिन्दी में जानकारियाँ )
बहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंआपको ये बताते हुए हार्दिक प्रसन्नता हो रही है कि आपका ब्लॉग ब्लॉग - चिठ्ठा - "सर्वश्रेष्ठ हिन्दी ब्लॉग्स और चिट्ठे" ( एलेक्सा रैंक के अनुसार / 31 मार्च, 2014 तक ) में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएँ,,, सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंजैसे शहर में
जवाब देंहटाएंजिसकी किसी
एक गली में
कोई ऐसा भी
कहीं रहता है
जो ना अपना
पता देता है किसी को
ना किसी के पास
उसके होने का ही
कोई पता होता है .... शानदार अभिव्यक्ति , शहरों की मृगमारिचिका में फंसे लोग अक्सर अपना पता भी भूल जाते हैं