१९४७ और उससे पहले का देखा
नहीं कुछ भी कही
बस कुछ पढ़ा कुछ सुना
बस कुछ पढ़ा कुछ सुना
किससे सुना ये ही मत पूछ बैठना
दिखा बना बैठा कुछ तुनतुना कुछ भुनभुना
दिखा बना बैठा कुछ तुनतुना कुछ भुनभुना
नहीं देखा ना सुना जैसा है आसपास अभी अपने
तू गीत तरन्नुम में गा गुनगुना
तू गीत तरन्नुम में गा गुनगुना
लिखे में तेरे दिख रहा है साफ़ साफ़
कहीं तो बटा है और इफरात में झुनझुना
कहीं तो बटा है और इफरात में झुनझुना
शब्द आते हैं जुबां तक बहुत ही सड़े गले
सारे रोक ले कुछ भी मत सुना
सारे रोक ले कुछ भी मत सुना
निगल ले गरल बन शिव कर तांडव घर के अन्दर
बस बाहर ना निकलना
बस बाहर ना निकलना
कुत्ते को सिखा योग और आसन
खुद सीख ले कुछ काटना कुछ भौंकना
खुद सीख ले कुछ काटना कुछ भौंकना
भगवान में ढूंढ थोड़ा सा आदमी और सीख ले
आदमी में भगवान को चेपना
आदमी में भगवान को चेपना
‘उलूक’ हो जो भी दिखा कुछ और ही
सबसे बड़ा है आज का लपेटना
सबसे बड़ा है आज का लपेटना
खा गालियाँ गिन नाले बनते बड़े
छोटी होती नालियों से क्या उलझना
छोटी होती नालियों से क्या उलझना
चित्र साभार: https://www.alamy.com/
खरी-खरी कहती हैं आपकी लेखनी । सादर नमन सर !
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 28 अप्रैल 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंअनुपम
जवाब देंहटाएंसटीक
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंगजब का व्यंग, बेहतरीन।
जवाब देंहटाएंकुत्ते को सिखा योग और आसन
जवाब देंहटाएंखुद सीख ले कुछ काटना कुछ भौंकना
भगवान में ढूंढ थोड़ा सा आदमी और सीख ले
आदमी में भगवान को चेपना
-गजब