उलूक टाइम्स

सोमवार, 1 जून 2015

बुद्धिजीवियों के शहर में चर्चा है किताबों की का कुछ शोर हो रहा है

भाई
बड़ा गजब
हो रहा है

कोई
कुछ भी
नहीं कह रहा है

फुसफुसा
कर कहा

बुद्धिजीवियों
से भरे एक
शहर के
एक बुद्धिजीवी ने

बगल में बैठे
दूसरे बुद्धिजीवी से
चिपकते चिपकते हुऐ
कान के पास
मुँह लगाते हुऐ

बहुत बुरा
सच में
बहुत बुरा
हो रहा है

बड़ा ही
गजब हो रहा है

मैं भी
देख रहा हूँ
कई साल से

यहाँ पर
बहुत कुछ
हो रहा है

समझ भी
नहीं पा रहा हूँ

कोई
कुछ भी
क्यों नहीं
कह रहा है

एक ने
सुनते ही
दूसरे का जवाब

जैसे ही
लगा उसे
उसका तीर
निशाने पर
लग रहा है

दुबारा
फुसफुसा
कर कहा

सुनो
सुना है
कल शहर में

कुछ
बाहर के शहर के
बुद्धिजीवियों का
कोई फड़ लग रहा है

किताबों
पर किसी
लिखने
लिखाने वाले
की कोई
चर्चा कर रहा है

फुसफुसाते
क्यों नहीं तुम
वहाँ जा कर

कि
यहाँ हो रहा है
और
गजब हो रहा है

कितनी
अजीब सी
बात है

देखिये तो जरा

हर कोई
एक दूसरे के
कान में
जा जा कर
फुस फुस
कर रहा है

कोई
किसी से
कुछ नहीं
कह रहा है

कुछ
आप ही कह दें

इस पर
जरा जोर
कुछ लगाकर

यहाँ तो
फुसफुसाहट
का ही बस
जोर हो रहा है ।

चित्र साभार: www.clipartreview.com