उलूक टाइम्स

रविवार, 24 अक्तूबर 2021

ग़ाँधी को लगी गोली को आज सलाम मिल रहा है

 


सब कुछ ठीक है बस कुछ बुलबुले हैं कुछ भी कहीं नहीं उबल रहा है
सूरज सुबह और चाँद शाम को ही हमेशा की तरह निकल रहा है

सब खुश हैं सब ही मौज में हैं दिल भी सुना यूँ ही बहुत बहल रहा है
चेहरों की चमक देखिये गालों का रंग भी जरा सा नहीं बदल रहा है

चारों तरफ चैन है बैचेन एक भी कहीं ढूँढे नहीं मिल रहा है
संत हो गये हैं सारे इतना संतोष है सम्भाले नहीं सम्भल रहा है

लिखा हुआ बोरों के हिसाब से गोदामों में लाईन लगा तुल रहा है
कुछ पढ़ दिया जा रहा है कुछ इंतजार में है करवट बदल रहा है

कुछ लिखने को कहीं कुछ बकने को कहीं कुछ ईनाम मिल रहा है
‘उलूक’ अच्छा है कम कर दिया बकना तूने
ग़ाँधी को लगी गोली को आज सलाम मिल रहा है ।


चित्र साभार: https://indianexpress.com/