उलूक टाइम्स: ताजो तख्त
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सोमवार, 2 दिसंबर 2013

जमीन की सोच है फिर क्यों बार बार हवाबाजों में फंस जाता है

अब बातें
तो बातें है

कुछ भी
कर लो

कहीं भी
कर लो

मुसीबत

तो तब
हो जाती है

जब बातें

दो
अलग अलग
तरह की

सोच रखने
वालों के
बीच हो
जाती हैंं

बातें

सब से
ज्यादा
परेशान
करती हैंं

एक
जमीन
से जुड़ने
की कोशिश
करने वाले
आदमी को

जो
कभी
गलती से

हवा
में बात
करने
वालों मेंं

जा कर
फंस
जाता है

ना उड़
पाता है
ना ही
जमीन पर
ही आ
पाता है

जो हवा
में होता है

उसे क्या
होता है

खुद हवा
फैलाता है

बातों
को भी
हवा में
उड़ाता है

हवा में
बात करने
वाले को
पता होता है

कुछ ऐसा
कह देना है

जो
कभी भी
और
कहीं भी
नहीं होना है

जो
जमीनी
हकीकत है

उससे
किसी
को क्या
लेना होता है

पर
बस
एक बात
समझ में
नहीं आती है

हवा
में बात
करने वालों
की टोली

हमेशा

एक
जमीन
से जुड़े
कलाकार को

अपने
कार्यक्रमों का
हीरो बनाती है

बहुत सारी
हवा होती है

इधर भी
होती है

उधर भी
होती है

हर चीज
हवा में
उड़ रही
होती है

जब
सब कुछ
उड़ा दिया
जाता है

हर एक
हवाबाज
अपने अपने
धूरे में जाकर
बैठ जाता है

जमीन से
जुड़ा हुआ

बेचारा

एक
जोकर
बन कर

अपना
सिर खुजाता हुआ

वापस
जमीन
पर लौट
आता है

एक
सत्य को
दूसरे सत्य से
मिलाने में

अपना जोड़
घटाना भी
भूल जाता है

पर
क्या किया जाय

आज
हवा बनाने
वालों को ही
ताजो तख्त
दिया जाता है

जमीन
की बात
करने वाला

सोचते सोचते

एक दिन
खुद ही
जमींदोज
हो जाता है ।