उलूक टाइम्स: जनवरी 2025

शनिवार, 11 जनवरी 2025

जद्दोजहद होने ना होने के बीच

 



अभी उसने बताया तुम हो 
समझाया भी खरा खरा  होने का मतलब 
अच्छा महसूस हुआ 
नहीं होने से होने तक पहुंचना 
बहुत बड़ी बात लगी 
समझ में भरा था  सभी होते हैं होते ही होंगे 
उन सभी में हम भी होते हैं 
ये किसी ने कभी नहीं बताया 
बहुत बहुत धन्य महसूस किया
धन्यवाद दिया उसे 
कितना ख्याल रखते हैं लोग 
 बता देते हैं बिना लाग लपेट होने का मतलब 
महसूस भी करा देते हैं बहुत अच्छी तरह होना 
अब उसने बताया का मतलब
सभी पर लागू हो ये जरूरी है या नहीं 
ये किस से पूछा जाए
किसी के लिए होना
किसी और के लिए भी होना ही हो
या एंवें ही  कुछ भी 
खयाली पुलाव 
कभी भी कहीं भी कैसे भी पक लेते हैं 
 ना शरम ना लिहाज 
अब पुलाव को कैसी शरम 
तुम्हारे भरम से उसे क्या लेना देना
जिंदगी किस मोड़ पर
कहां ले जा कर पटक देगी
पहले से पता होता  
तो अब तक कई किस्म के
हेलमेट बाजार में आ चुके होते 
अमेजन फ्लिपकार्ट और भी
धड़ाधड़ बिकवाली 
अपने से ज्यादा घरवाली सहेज कर रखती
और पड़ोसन जल रही होती 
पहाड़ चढ़ना शुरू करते ही
सभी चोटी दिखाते हैं 
 सारे गुरु घण्टाल समझाते हैं 
यूं जाओगे और यूं उतर आओगे 
समझ में तो तब आता है 
जब बीच में
पहुंचते पहुंचते समय पूरा हो गया की घंटी
सुनाई देना शुरू हो जाती है 
ना उतरा जाता है ना चढ़ा जाता है 
ऊपर से रास्ते की ठोकरें 
हजार बार कराती चलती हैं औकात बोध 
फिर भी घिसा पिटा कॉलर खड़ा करने से
कहां बाज आया जाता है
कांटा लगा मिर्ची लगी मुस्कुराते हुए गाने वाले
एक नहीं हजार मिलते हैं 
लेकिन फिर भी 
नहीं होने देंगे इसे तो कभी नहीं के बीच 
एक लंबी पारी खेलने वाले के लिए 
आउट होते समय भी
अंततः हो जाना बहुत बड़ी बात है 
है कि नहीं आप ही बताइए 
और मुस्कुराइए आप भी हैं 
हमे समझाने के लिए
हमारे होने ना होने के
बीच का अगर कुछ है  
आप के पास 

चित्र साभार:
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