होली
के दिन
बुआ
परेशान सी
नजर आई
सोच कर
पूछने पर
उतर आई
उसकी
दुकान पर
क्या अच्छा
काम आजकल
हुऎ जा रहा है
जो वो
रोज रोज
घूँट लगाने
लगा है
सुना जा
रहा है
बेटे ने
बुआ को
बताया
फिर फंडा
चाचा का
समझाया
बुआ जी
चाचा जी
के पिता जी
का जब से
हुआ है
स्वर्गवास
पेंशन
का पट्टा
उनका
बेवा बीबी
के तब से
आ गया
है हाथ
ए टी ऎम
कार्ड
खाते का
उनके
लेकिन
रहने
लगा है
चाचा
के पास
चाचा अब
रोज बस
एक पाव
लगाता है
पेंशन
पा रही
माँ के
पूछने पर
उसको भी
समझाता है
पारिवारिक
पेंशन
मिली है
तुझ बेवा
को
समझा
कर जरा
इस पैसे
से परिवार
के लोगों का
खयाल
रखा जाता है
तुझे क्यों
होती है
इसमें इतनी
परेशानी
अगर
एक पाव
मेरे हाथ भी
आ जाता है ?
के दिन
बेटा
बाजार से
लौट कर
आ रहा था
मुस्कुराकर
अपनी बुआ
को बता
रहा था
पड़ोस के
एक चाचा जी
को सड़क पर
हिलता डुलता
चलता देख
कर आ
रहा था
एक और पड़ोसी चाचा
उनको हेल्प
करने के लिये
हाथ बढ़ा रहा था
बाजार से
लौट कर
आ रहा था
मुस्कुराकर
अपनी बुआ
को बता
रहा था
पड़ोस के
एक चाचा जी
को सड़क पर
हिलता डुलता
चलता देख
कर आ
रहा था
एक और पड़ोसी चाचा
उनको हेल्प
करने के लिये
हाथ बढ़ा रहा था
बुआ
परेशान सी
नजर आई
सोच कर
पूछने पर
उतर आई
उसकी
दुकान पर
क्या अच्छा
काम आजकल
हुऎ जा रहा है
जो वो
रोज रोज
घूँट लगाने
लगा है
सुना जा
रहा है
बेटे ने
बुआ को
बताया
फिर फंडा
चाचा का
समझाया
बुआ जी
चाचा जी
के पिता जी
का जब से
हुआ है
स्वर्गवास
पेंशन
का पट्टा
उनका
बेवा बीबी
के तब से
आ गया
है हाथ
ए टी ऎम
कार्ड
खाते का
उनके
लेकिन
रहने
लगा है
चाचा
के पास
चाचा अब
रोज बस
एक पाव
लगाता है
पेंशन
पा रही
माँ के
पूछने पर
उसको भी
समझाता है
पारिवारिक
पेंशन
मिली है
तुझ बेवा
को
समझा
कर जरा
इस पैसे
से परिवार
के लोगों का
खयाल
रखा जाता है
तुझे क्यों
होती है
इसमें इतनी
परेशानी
अगर
एक पाव
मेरे हाथ भी
आ जाता है ?