उलूक टाइम्स: खबर
खबर लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
खबर लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

मंगलवार, 17 अप्रैल 2012

चमेली

चमेली
सब लोगों
की पसंद है
बूढे़ चमेली
को देख
कर जवान
हो जाते हैं
चमेली
की फालतू
अदाओं पर
कुर्बान हो
जाते हैं
चमेली
हर जगह
पायी जाती है
चमेली
कुछ नहीं
करती है
चमेली
फिर भी
खबर हो
जाती है
चमेली
होना अपने
आप में
एक क्वालिटी
हो जाता है
चमेली 

के प्रभाव
में आ जाना
चमेली इफेक्ट
कहलाता है
चमेली
को छेड़ने
पर चमेली
बस मुस्कुरा
देती है
वो एक
चमेली
है छेड़ने
वाले को
इस तरह
बता देती है
फिर
बार बार
कुछ कहने
कुछ सुनने
का रास्ता
तैयार हो
जाता है
हर कोई
चमेली
के आस पास
रहने का
जुगाड़
लगाता है
चमेली
बरसों से
इसी तरह
अपने काम
निकालती
जा रही है
चमेली
तरह तरह
लोगों को
बेवकूफ
बना रही है
सबको पता है
चमेली
चमक के
जिस दिन
आती है
कहीं ना
कहीं जा
कर के
बिजली
गिराती है
चमेली
चमेली है
बहुत से
लोग बहुत
अच्छी तरह
जानते है
अन्जान
बन कर
फिर भी
चमेली
की दुकान
सम्भालते हैं
अपने
आस पास
आप भी
ढूंढिये
तो जरा
शायद कोई
चमेली
आपको भी
दिख जाये
और
आप भी
चमेली
प्रभाव को
उदाहरण
सहित
समझ जायें।

सोमवार, 9 जनवरी 2012

इतवारी मुद्दा

दैनिक हिन्दुस्तान रविवार का पन्ना छ:
पढ़ कर हुवा मैं भावुक और गया बह ।

शिक्षक संघर्ष समिति खफा सुन राज्य सरकार
वादाखिलाफी का लगाया आरोप किया खबरदार।

खबर है "बेरोजगार और शिक्षक सरकार से खफा"
"बेरोजगार शिक्षक" होती तो ज्यादा आता मजा।

विपक्ष के हो गये मजे सरकार को नहीं देगें ये अब वोट
साठ से पैंसठ नहीं किये हैं ये अब खायेंगे देखो चोट।

इतना जरूर अच्छा हुवा है कोई नहीं बदला अपना दल
सरकार के दल वाला नहीं गया और कहीं पाला बदल।

इस बार सरकार के दल वाले शिक्षक हो गये थोड़ा विफल
सांठ गांठ है ही विपक्ष के शिक्षक शायद अब दें तकदीर बदल।

चिंता की कोई बात नहीं है सरकार जिसकी भी आयेगी
बहुत जोर है बूढे़ बाजुओं में पैंसठ जरुर करवायेगी।

बाकी खबर खबर है ये बेरोजगार कैसे फंसे खबर में
शायद सोचे होंगे रास्ता साफ हो जायेगा ये तो जायेंगे कबर में।

शनिवार, 7 जनवरी 2012

जुल्म

दैनिक
हिन्दुस्तान 
भी

देखिये
कैसा
जुल्म
ढा रहा है


ना
पचने वाली

एक खबर
आज

सुना रहा है

गढ़वाल में

प्रोफेसर लोगों
की नेतागिरी
पर संकट
मंडरा रहा है

हाय हाय
मेरे 
तो
सीने में

जोर का दर्द
उठा जा रहा है

कुलपति जी

वहाँ के ऎसा
कैसे कर पा
रहे होंगे

या खाली में

हमारे लिये
एक खबर
बना रहे होंगे

भगवान करे

मेरे कुलपति
के कान में
ये खबर ना
जा पाये

वर्ना

कहीं

उनको भी
वैसा 
ही
बुखार
ना 
चढ़ जाये

प्रोफेसरी
से
क्या
हो पाता है


नेतागिरी
से ही 
तो देश
पढ़ 
पाता है

स्कूल
में पढ़ायेंगे

तो खाली बच्चे
पास हो जायेंगे

नेताओं को
पढ़ा 
लिये
अगर

तो 
सात पीढि़यों
का भला
कर
ले जायेंगे

नेताओं को
वैसे 
भी
पढ़ाने की

जरूरत है

स्कूल में

पढा़ भी दिया
तो कौन सा
कद्दू में तीर
मार जायेंगे।

शनिवार, 31 दिसंबर 2011

खबर

एक

देता है

कुछ
अनुदान

दो को

दो

कार्यक्रम
बनाता है

फिर

तीन
को बताता है

तीन
बहुत दूर से

चार
को बुलाता है

अतिथि
गृह में
ठहराता है

सलाद
कटवाता है

गिलास
धुलवाता है

चार
सेवा टहल
करवाता है

टी ए डी ए
भरवाता है

खर्राटे भरकर
सो जाता है

पांच

झाडू़
लगवाता है

मंच सजाता है

देर से घर जाता है

पांच

फिर
सुबह सुबह
आ जाता है

आदत
से मजबूर
खुद पर
खिसियाता है

कोई भी
उपस्थित
नहीं हुवा
समय पर

पाता है

दो और चार
टहल के आते हैं

कौलर अपने
उठाते हैं

धूप में
बैठ जाते हैं

श्रोता
एक घंटा
देर से आते हैं

बेहयाई
से फिर
मुस्कुराते हैं

तीन
घर में
बीन बजाता है

कुछ को
मोबाईल फोन
मिलाता है

कार्यक्रम
हुवा या नहीं
पता लगाता है

अखबार
वालों को
सब कुछ
बताता है

पांच
अगले दिन
खबर में पाता है

सारी
खबर में
अखबार
तीन ही तीन
दिखाता है

तीन
घर में रखी बीन
फिर से बजाता है

पांच
अपनी बीबी से

डांठ
जोर की
खाता है।