उलूक टाइम्स: कबर
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सोमवार, 1 अक्टूबर 2012

जानवर की खबर और आदमी की कबर




हथिनी के बच्चे का नहर में समाना
कोशिश पर कोशिश नहीं निकाल पाना
हताशा में चिंघाड़ना और चिल्लाना
हाथियों के झुंड का 
जंगल से निकल कर आ जाना
आते ही दो दलों में बट जाना
नहर में उतर कर बच्चे को धक्के लगाना
बच्चे का सकुशल बाहर आ जाना
हथिनी का बच्चे के बगल में आ जाना
हाथियों का सूंड में पानी भर कर लाना
बच्चे को नहलाकर वापस निकल जाना
पूरी कहानी का फिल्मी हो जाना
जंगली जीवन की सरलता के
जीवंत उदाहरण का सामने आ जाना
आपदा प्रबंधन का नायाब तरीका दिखा जाना
नजर हट कर 
अखबार के दूसरे कोने में जाना
आदमी की चीख किसी का भी ना सुन पाना
बच्चे के उसके मौत को गले लगाना
आपदा प्रबंधन का पावर पोइंट प्रेजेन्टेशन याद आ जाना
सरकार का 
लाश की कीमत कुछ हजार बताना
सांत्वना की चिट्ठी सार्वजनिक करवाना
मौत की जाँच पर कमेटी बिठाना
तरक्की पसंद आदमी की सोच का
जानवर हो जाना ।

चित्र साभार: https://www.upi.com/

शुक्रवार, 6 जुलाई 2012

ढूँढ सके तो ढूँढ

सूरज निकलते
ही एक सवेरा
ढूँढता है
चाँद निकलते
ही एक अंधेरा
ढूँढता है
पढ़ लिख कर
सब कुछ 
एक पाठशाला
ढूँढता है
पीता नहीं है
एक  मधुशाला
ढूँढता है
मरने से डरता है
फिर भी हाला
ढूँढता है
कुआँरा है अपना
एक साला
ढूँढता है
मंदिर में जाकर
ऊपर वाला
ढूँढता है
बना कर मकान
एक घर
ढूँढता है
घर घर में
जाकर एक
बेघर ढूँढता है
सब के काम
में एक खता
ढूँढता है
संभाला कहाँ
खुद का पता
ढूँढता है
सोता नहीं है
लेकिन सपने
ढूँढता है
ठोकर लगा कर
सब को अपने
ढूँढता है
सब कुछ है
फिर भी
कुछ कुछ
ढूँढता है
सारी उमर
बेसबर
ढूँढता है
कोई नहीं
कहीं एक
कबर
ढूँढता है।

सोमवार, 9 जनवरी 2012

इतवारी मुद्दा

दैनिक हिन्दुस्तान रविवार का पन्ना छ:
पढ़ कर हुवा मैं भावुक और गया बह ।

शिक्षक संघर्ष समिति खफा सुन राज्य सरकार
वादाखिलाफी का लगाया आरोप किया खबरदार।

खबर है "बेरोजगार और शिक्षक सरकार से खफा"
"बेरोजगार शिक्षक" होती तो ज्यादा आता मजा।

विपक्ष के हो गये मजे सरकार को नहीं देगें ये अब वोट
साठ से पैंसठ नहीं किये हैं ये अब खायेंगे देखो चोट।

इतना जरूर अच्छा हुवा है कोई नहीं बदला अपना दल
सरकार के दल वाला नहीं गया और कहीं पाला बदल।

इस बार सरकार के दल वाले शिक्षक हो गये थोड़ा विफल
सांठ गांठ है ही विपक्ष के शिक्षक शायद अब दें तकदीर बदल।

चिंता की कोई बात नहीं है सरकार जिसकी भी आयेगी
बहुत जोर है बूढे़ बाजुओं में पैंसठ जरुर करवायेगी।

बाकी खबर खबर है ये बेरोजगार कैसे फंसे खबर में
शायद सोचे होंगे रास्ता साफ हो जायेगा ये तो जायेंगे कबर में।