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मंगलवार, 6 अगस्त 2013

ये अंदर की नहीं है अंडर की बात है !

राहुल बाबा क्या हुआ
आजकल बहुत कम
आप नजर आ रहे हो
पता ही नहीं चल पा
रहा है देश को चलाने
के लिये कौन सा नया
सौफ्टवेयर तैय्यार
करवाने जा रहे हो
वैसे अंडर में अपने
सबको इक्ट्ठा रखने
का माडल आपका
बहुत ही मजबूत
माना जाता है
उसकी बात कोई
कहीं भी करना
नहीं चाहता है
तरक्की के लिये अपनी
अपनाना उसे
ही चाहता है
अंडर में जब तक रहे
वो ही बस रहे तो रहे
जरा भी खिसकने
का उसके कहीं को
भी थोड़ा किसी को
शक भूलकर ना रहे
जो भी करे पूछ पूछ
कर बस करता चले
जिस दिन सोचना
खुद गलती से
भी कुछ करे
दे के आजादी
उसी क्षण अपने
अंडर से चलता करे
अब यही अंडर में
रहने की बात होती
चली जा रही है
किसी एक के द्वारा
नहीं पूरे देश में
प्रयोग की जा रही है
जिसको चलानी हो
कोई भी खटारा गाडी़
उसके लिये वरदान
एक बन जा रही है
अंडर में चिपक कर
रहने वालों को सारे
एक ही जगह पर
पहुँचाये जा रही है
अंडर में रखने के
नशे का हर एक
आदी हो जा रहा है
अंडर में रहने वालों
को भी तो उतना
ही मजा आ रहा है
अंडर वाला अपने
अंडर वाले पर नजर
जरूर रखवा रहा है
कहीं वो उसके अंडर से
किसी और के अंडर
तो नहीं जा रहा है
गलती से भी कहीं
अपनी काबीलियत
को तो नहीं पनपा
ले जा रहा है
बहुत ही काम
का हो चुका है
माडल अंडर में
अपने रखने वाला
ऎसा कुछ महसूस
किया जा रहा है
छोटी हो या बडी़
हर जगह पर
पूरे देश में ही
काम में लाया
जा रहा है
बीबी के द्वारा
शौहर पर और
शौहर के द्वारा
बीबी पर भी
आजमाया जा रहा है
अंदर की बात
कुछ और है
आपको डरने की
बिल्कुल भी
जरूरत नहीं है
सब लगे हैं
आपका ही माडल
प्रयोग करने में
बाहर से खाली
मोदी मोदी करके
आपको डराया
जा रहा है ।

मंगलवार, 17 जुलाई 2012

सोच दिखती नहीं फैल जाती है

चल रहा था
मुस्कुरा रहा था
हाथ की अंगुलियां
हिलाये जा रहा था
बड़बड़ा रहा था
उसके आस पास
जबकि कोई भी
दूर दूर तक कहीं
नजर नहीं आ रहा था
ये सब मैं उसके
सामने से देखता
हुआ आ रहा था
बगल से जैसे ही
वो निकला
मेरा दिमाग ऎसे चला
जैसे चलने वाली मशीन
का बटन किसी ने हो
तुरंत ही दबा दिया
मुस्कुरा रहा था
पक्का कोई अच्छी
खबर अभी अभी
सुन कर आ रहा था
हाथ हिला रहा था
पक्का क्या करने
जा रहा था
उसका प्लौट
अपने सामने से
देख पा रहा था
बड़बड़ा रहा था
पक्का शादी शुदा
होगा बता रहा था
जो कुछ बीबी से
कह नहीं पा रहा था
कह ले जा रहा था
अरे अरे देखिये
उसको तो जो भी
हुऎ जा रहा था
ये सब मैं काहे
सोच ले जा रहा था
अच्छा हुआ इस सब
के बीच मेरे अपने
सामने से कोई नहीं
दूर दूर तक आ रहा था।

बुधवार, 20 जून 2012

जवान के साथ जा जवान हो जा

कुछ कुछ
खुश खुश
थोड़ा सा
रसिक मिजाज

सबसे जुदा
जुदा अंदाज
वाले एक
हमारे साहब

लगा रहे थे
दूर कहीं
नजर आ रहे एक
सज्जन को जोर
जोर से आवाज

अरे भाई कहां से
आज आ रहे हो
बड़े दिनो बाद
यहां पर हमें
शक्ल दिखा रहे हो

भैय्या जी ने
पान की गिलौरी
को गाल में थोडा़
किनारे को खिसकाया

मुँह ऊपर करके
कुछ स्पष्ट कुछ
अस्पष्ट भाषा में
उनको बताया

शैक्षिक भ्रमण
करके आ रहे हैं
बालक बालिकाओं
को देश के कई
इलाके दिखलाके
वापस ला रहे हैं

साहब ने
उत्सुकता
दिखाते हुवे
एक फार्मूला
हवा में उछाला

खूबसूरत महिलाओं
के साथ ने आदमी
की उम्र को कई बार
कई जगह बहुत
कम है कर डाला

आप भी इसीलिये
आज कुछ जवान से
नजर आ रहे हो

चेहरे से भी अपनी
उम्र कुछ कम
आज बता रहे हो

साहब जी
वैसे तो
आप सही
फरमा रहे हो

पर श्रीमती जी हमे
अकेला कभी कहीं
नहीं जाने देती
इसीलिये हमारे
साथ साथ भ्रमण
में गाइड का काम
खुद ही हैं ले लेती

जवान बच्चों का
साथ मेरी उम्र
पच्चीस साल
अगर कम कहीं कराता

बीबी की परछाई
के छूते ही समय
पचास साल आगे
चला है जाता

जवान ऎसे बताइये
मै कहाँ हो पाउंगा
दो चार भ्रमण अगर
साल में हो गये
भगवान को प्यारा
जरूर ही हो जाउंगा।

बुधवार, 16 मई 2012

सफेद बाल

मेरे सफेद बाल
हो गये हैं अब
खुद मेरे लिये
आज एक बवाल

हर कोई इनसे
दिखता है परेशान

जैसे
उड़ रहे हों
मेरे सर के
चारों ओर
कुछ अजीब
से विमान

एक मित्र जो रोज
बाल काले करता है

उसकी बीबी
का डायलाग
हमेशा ऎसा
ही रहता है

अरे आपके
कुछ बाल
अभी काले
नजर आते हैं
आप
अपने बाल
डाई क्यों
नहीं कराते हैं

हर दूसरा भी राय
देने की कोशिश
करता है एक नेक
भाईसाहब आपके
बाल इतनी जल्दी
कैसे हो गये सफेद

एक सटीक दवाई
हम आपको बताते हैं

एक ही रात में
उसको खा के सारे
बाल काले हो जाते हैं

कल जब मैं सड़क पर
बेखबर जा रहा था
देखा एक आदमी
सड़क किनारे रेहड़ी
अपनी सजा रहा था

कुछ जड़ी बूटियां
बेचने वाला जैसा
नजर आ रहा था

मुझे देखते ही दौड़
कर मेरी ओर आया
हाथ पकड़ मेरा
मुझे अपनी रेहड़ी
की तरफ उसने बुलाया

अंकल अंकल ये वाली
बूटी आप मुझ से ले जाओ
एक हफ्ते में अपने
सारे बाल काले करवाओ

सौ रुपये में इतना
आप और कहाँ पाओ
असर ना करे तो
दो सौ मुझसे ले जाओ

उसको इतना उतावला देख
कर मैं धीरे से मुस्कुराया
उसकी तरफ जाकर
उसके कान में फुसफुसाया

पचास साल लगे हैं
इन बालों को
सफेद करवाने में
तुझे क्या मजा
आ रहा है
इनको एक हफ्ते में
काले करवाने में
मेरी की गई मेहनत
पर पानी फिरवाने में

कोई दिल काला
करने की दवा है
तो अभी दे जा
सौ की जगह
पाँच सौ तू ले जा

काले दिल वालों का
जमाना आ रहा है
उन सब को जेल से
बाहर निकाला जा रहा है

उनके खुद किये गये
घोटालों पर ब्याज भी
सरकार की तरफ से
दिया जा रहा है।

गुरुवार, 19 अप्रैल 2012

कुछ कुछ पति

अंदर का सबकुछ
बाहर नहीं लाया
जा रहा था
थोड़ा कुछ
छांट छांट कर
दिखाया जा रहा था
बीबी बच्चों के बारे में
हर कोई कुछ
बता रहा था
अपनी ओर से
कुछ कुछ
समझाये जा रहा था
तभी एक ने कहा
दुनियाँ करती पता
नहीं क्या क्या है
लेकिन पब्लिक में
तो यही कहती है
अपने बच्चे
सबसे प्यारे
दूसरे की बीबी
खूबसूरत होती है
बीबी सामने बैठी हो
तो कोई क्या कह पाये
अगल बगल झांके
सोच में पड़ जाये
भैया बीबी तो
बीबी होती है
इधर की होती है
चाहे
उधर की होती है
एक आदमी जब
बीबी वाला
हो जाता है
फिर सोचना
देखना रह ही
कहाँ जाता है
जो देखती है बीबी
ही देखती है
दूसरे की बीबी को
देखने की कोई
कैसे सोच पाता है
हाँ कुछ होते हैं
मजबूत लोग
इधर भी देख लेते हैं
उधर भी देख लेते है
ऎसे लोगो को
ऎसी जगह बैठा
दिया जाता है
जहां से हर कोई
नजर में आ जाता है
पत्नी का एक पति
कुछ और पति
भी हो जाता है
इधर उधर देखने
का फायदा
उठा ले जाता है।

शनिवार, 31 मार्च 2012

रहम

सुन !

मेरे को
मत पका

कभी कुछ
अच्छी दो
बातें भी तो
ढूँढ कर ला

गजल सुना
चुटकुला सुना
रंगीन नहीं है तो
ब्लैक एंड वाहिट
ही चल दिखा

कभी दिल्ली
में भटक जाता है
वहाँ नहीं
चला पाता है
तो देहरादून
आ जाता है

तेरा अपना
शहर तो जैसे
तुझे रोज ही
काटने को
आता है

कभी तो
मुस्कुरा
दो बातें
प्रेम की
भी सुना


माना की
बीबी की
डाँठ भी
खाता है
पर कोई
तेरी तरह
नहीं
झल्लाता है

ज्यादा
कचकच
लगाने वाला
अपने को
मत बना

मान जा
कभी हमारे
लिये भी गा

तितलियाँ फूल
झरने देख
कर आ
उनके बारे में
आ कर बता

स्कूल
में बच्चों
को
पढ़ाता होगा
हमको तो
मत पढ़ा

अनारकली
आ रही है
आज टी वी में
क्या तुझे है पता

रोज लिखना
जरूरी है क्या

आज कविता
मत चिपका

हम पर रहम
थोड़ा सा खा ।

शनिवार, 31 दिसंबर 2011

खबर

एक

देता है

कुछ
अनुदान

दो को

दो

कार्यक्रम
बनाता है

फिर

तीन
को बताता है

तीन
बहुत दूर से

चार
को बुलाता है

अतिथि
गृह में
ठहराता है

सलाद
कटवाता है

गिलास
धुलवाता है

चार
सेवा टहल
करवाता है

टी ए डी ए
भरवाता है

खर्राटे भरकर
सो जाता है

पांच

झाडू़
लगवाता है

मंच सजाता है

देर से घर जाता है

पांच

फिर
सुबह सुबह
आ जाता है

आदत
से मजबूर
खुद पर
खिसियाता है

कोई भी
उपस्थित
नहीं हुवा
समय पर

पाता है

दो और चार
टहल के आते हैं

कौलर अपने
उठाते हैं

धूप में
बैठ जाते हैं

श्रोता
एक घंटा
देर से आते हैं

बेहयाई
से फिर
मुस्कुराते हैं

तीन
घर में
बीन बजाता है

कुछ को
मोबाईल फोन
मिलाता है

कार्यक्रम
हुवा या नहीं
पता लगाता है

अखबार
वालों को
सब कुछ
बताता है

पांच
अगले दिन
खबर में पाता है

सारी
खबर में
अखबार
तीन ही तीन
दिखाता है

तीन
घर में रखी बीन
फिर से बजाता है

पांच
अपनी बीबी से

डांठ
जोर की
खाता है।

सोमवार, 21 सितंबर 2009

जलन

चारों तरफ बज रही शहनाई है
मेरे घरोंदे में चाँदनी उतर आई है ।

पड़ोसी के चेहरे पे उदासी छाई है
लगता है 
उनको चाँद ने घूस खाई है ।

मेरे कुत्ते की जब से बड़ रही लम्बाई है
पड़ोसन बिल्ली के लिये टोनिक लाई है ।

कितनी मुश्किल से बात छिपाई है
लेकिन वो तो पूरी सी बी आई है ।

पंडित जी की बढ़ गयी कमाई है
बीबी ने दरवाजे पे मिर्ची लटकाई है ।