उलूक टाइम्स: खाल
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सोमवार, 29 मई 2017

बहुत तेजी से बदल रहा है इसलिये कहीं नहीं मिल रहा है

सुना है
बहुत कुछ
बहुत तेजी से
बदल रहा है

पुराना
कुछ भी
कहीं भी
नहीं चल
रहा है

जितना भी है
जो कुछ भी है
सभी कुछ
खुद बा खुद
नया नया
निकल रहा है

लिखना नहीं
सीख पाया
है बेवकूफ
तब से अब तक

लिखते लिखते
अब तक
लिखता
चल रहा है

बेशरम है
फिर से
लिख रहा है

कब तक
लिखेगा
क्या क्या
लिखेगा
कितना
लिखेगा
कुछ भी
पता नहीं
चल रहा 
है

पुराना
लिखा सब
डायरी से
बिखर कर

इधर
और उधर
गिरता हुआ
सब मिल
रहा है

गली
मोहल्ले
शहर में
बदनाम
चल रहा है

बहुत दूर
कहीं बहुत
बड़ा मगर
नाम चल
रहा है

सीखना
जरूरी
हो रहा है

लिख कर
बहुत दूर
भेज देना

गली
में लिखा
गली में

शहर
में लिखा
शहर में

बिना मौत
बस कुछ
यूँ ही
मर रहा है

लत लग
चुकी है
‘उलूक’ को

बाल की खाल
निकालने की

बाल मिल
रहा है मगर

खाल
पहले से
खुद की
खुद ही
निकाला हुआ
मिल रहा है ।

चित्र साभार: Inspirations for Living - blogger