उलूक टाइम्स: ठिकाने
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गुरुवार, 10 जुलाई 2014

समय अच्छा या बुरा समय की समझ में खुद नहीं आ रहा होता है


समय को लिखने
वाले लोगों को
ना तो फुरसत होती है
ना ही कुछ लिखने
लिखाने का समय
उनके पास होता है
अवकाश के दिन भी
उनका समय समय
को ही ठिकाने
लगा रहा होता है
कोई चिंता कोई
शिकन नहीं होती है कहीं
कुछ ऐसे लोगों के लिये
जिनकी नजर में
लिखना लिखाना
एक अपराध होता है
और दूसरी ओर
कुछ लोग समय
के लिये लिख
रहे होते हैं
उन को आभास
भी नहीं होता है
और समय ही
उनको ठिकाने
लगा रहा होता है
समय समय की बातें
समय ही समझ
पा रहा होता है
एक ओर कोई
लिखने में समय
गंवा रहा होता है
तो दूसरी ओर
कुछ नहीं लिखने वाला
समय बना रहा होता है
किसका समय बर्बाद
हो रहा होता है
किसका समय
आबाद हो रहा होता है
‘उलूक’ को इन सब से
कुछ नहीं करना होता है
उस की समझ में
पहले भी कुछ
नहीं आया होता है
आज भी नहीं
आ रहा होता है ।