आज की
ताजा खबर
बस
बताने के लिये
बताने के लिये
यहाँ
आ रहा हूँ
आ रहा हूँ
कल से
कुछ दिनों
के लिये
अपने अखबार
के दफ्तर में
ताला
लगाने जा रहा हूँ
लगाने जा रहा हूँ
बहुत दिन
हो चुके कुऐं के
अंदर ही अंदर
टर्राते हुऐ
गला रवाँ
करने के लिये
निकल कर
बाहर आ रहा हूँ
कुछ दिन
चैन की बंसी
बजा सकते हैं
बजाने
बजवाने वाले
बजवाने वाले
अपना
तबला
तबला
और
हार्मोनियम
खुला हुआ
छोड़ कर
जा रहा हूँ
जा रहा हूँ
बहुत
हो चुकी
बक बक
हो चुकी
बक बक
काम की
बेकाम की
बेकाम की
सब का
दिमाग खाने
के
बाद अब
बाद अब
अपने
दिमाग को
थोड़ी सी
हवा
हवा
लगाने के लिये
खुली
हवा में
साँस
हवा में
साँस
लेने के लिये
जा रहा हूँ
जा रहा हूँ
थोड़े थोड़े
अंधे
अंधे
सभी
होना चाहते हैं
होना चाहते हैं
लोग
इस जमाने के
इस जमाने के
बहुतों का
बहुत कुछ
बहुत कुछ
देख देख कर
मैं भी
आँख पर
आँख पर
कुछ दिन
पट्टी
लगाना
चाह रहा हूँ
लगाना
चाह रहा हूँ
खुश रहें
आबाद रहें
पढ़ने पढ़ाने
वाले
वाले
लौट कर
आने
आने
तक के लिये
सफेद
पन्ने कुछ
पन्ने कुछ
खाली
पतंग बनाने
पतंग बनाने
के लिये
छोड़ कर
जा रहा हूँ
छोड़ कर
जा रहा हूँ
आते जाते
रहियेगा
रहियेगा
कुछ
कहियेगा
कहियेगा
कुछ
लिखियेगा
लिखियेगा
टिप्प्णी वाले
बक्से का
दान पात्र
दान पात्र
खुला
छोड़ कर
जा रहा हूँ
छोड़ कर
जा रहा हूँ
‘उलूक’
जरूरत नहीं है
मेरे जाने से बहुत
खुश हो जाने की
काफी
कर चुका है
कर चुका है
तू भी
उलूल जलूल
उलूल जलूल
बहुत
दिनों तक
दिनों तक
इधर और उधर
भी
भी
तेरी
कोटरी पर भी
कोटरी पर भी
टाट की
एक पट्टी
एक पट्टी
चिपकाने
जा रहा हूँ
जा रहा हूँ
जा रहा हूँ
सोच कर
पूरा
चला गया
चला गया
भी
मत सोच बैठना
मत सोच बैठना
कुछ दिनों
के बाद
के बाद
लौट कर फिर
यहीं आ रहा हूँ ।