समय
बदला है
तरीके
भी बदले हैं
उसी तरह
उसके
साथ साथ
बस
नहीं बदली है
तो तेरी समझ
समझा कर
पहले
जो कुछ भी
हुआ करता था
उस समय के
हिसाब से ही
हुआ करता था
अब
उस समय
का हिसाब
इस समय
भी सही हो
इस बात को
समय कभी भी
किसी से भी
किसी
जमाने में भी
कहीं नहीं
कहा करता था
लौह पुरुष
हुआ था
कहते हैं
कोई कभी
किसे पता है
कितना लोहा
उसमें हुआ
करता था
एक
कोई और
धोती पहना हुआ
एक चश्मा लगाये
लाठी लेकर
सच की
वकालत
भी करता था
होता था
बहुत कुछ
स्वत: स्फूर्त
अपने आप
ऊपर से
नीचे की
ओर ही नहीं
विपरीत
दिशाओं में भी
खुद का खुद
कुछ कुछ
बहा करता था
समय
बदल गया है
लौह पुरूष
नहीं भी
बन रहा है
चिंता
मत किया कर
लौहा
पूरे देश से
कोई आज भी
जमा कर रहा है
बनेगा
कुछ ना कुछ
सच की
वकालत
बिना लाठी चश्में
और धोती के भी
कोई कोई
कर रहा है
बस बताना
पड़ रह है
एक दो नहीं
पूरी एक
भीड़ के द्वारा
कि कोई
कुछ कर रहा है
और ईमानदारी
से ही कर रहा है
एक तू है
अभी भी
पुराने
तरीकों पर
ना जानें क्यों
अढ़ रहा है
सोच
कितने लोगों
से उसे
कहलवाना
पड़ रहा है
संचार तंत्र
का भी सहारा
जगह जगह
लेना पड़ रहा है
दस लोगों का
ईमानदारी का दिया
हुआ प्रमाण पत्र भी
क्या तेरे पल्ले
नहीं पड़ रहा है
जब
कह दिया गया है
छपा दिया गया है
टी वी में तक
दिखा दिया गया है
तब भी
तू बेकार में
मण मण
कर रहा है ।
बदला है
तरीके
भी बदले हैं
उसी तरह
उसके
साथ साथ
बस
नहीं बदली है
तो तेरी समझ
समझा कर
पहले
जो कुछ भी
हुआ करता था
उस समय के
हिसाब से ही
हुआ करता था
अब
उस समय
का हिसाब
इस समय
भी सही हो
इस बात को
समय कभी भी
किसी से भी
किसी
जमाने में भी
कहीं नहीं
कहा करता था
लौह पुरुष
हुआ था
कहते हैं
कोई कभी
किसे पता है
कितना लोहा
उसमें हुआ
करता था
एक
कोई और
धोती पहना हुआ
एक चश्मा लगाये
लाठी लेकर
सच की
वकालत
भी करता था
होता था
बहुत कुछ
स्वत: स्फूर्त
अपने आप
ऊपर से
नीचे की
ओर ही नहीं
विपरीत
दिशाओं में भी
खुद का खुद
कुछ कुछ
बहा करता था
समय
बदल गया है
लौह पुरूष
नहीं भी
बन रहा है
चिंता
मत किया कर
लौहा
पूरे देश से
कोई आज भी
जमा कर रहा है
बनेगा
कुछ ना कुछ
सच की
वकालत
बिना लाठी चश्में
और धोती के भी
कोई कोई
कर रहा है
बस बताना
पड़ रह है
एक दो नहीं
पूरी एक
भीड़ के द्वारा
कि कोई
कुछ कर रहा है
और ईमानदारी
से ही कर रहा है
एक तू है
अभी भी
पुराने
तरीकों पर
ना जानें क्यों
अढ़ रहा है
सोच
कितने लोगों
से उसे
कहलवाना
पड़ रहा है
संचार तंत्र
का भी सहारा
जगह जगह
लेना पड़ रहा है
दस लोगों का
ईमानदारी का दिया
हुआ प्रमाण पत्र भी
क्या तेरे पल्ले
नहीं पड़ रहा है
जब
कह दिया गया है
छपा दिया गया है
टी वी में तक
दिखा दिया गया है
तब भी
तू बेकार में
मण मण
कर रहा है ।