यूँ हीं देख
लिया कर
कुछ कभी भी
बस देखने के लिये
जिंदगी
कट जाती है
उसकी भी
जिसने आँखे
ताड़ कर पूरे को
पूरा ही घूरा हो
अपनी आँखे
सेकने के लिये
यूँ हीं कह
दिया कर
कुछ भी कभी भी
बस फेंकने के लिये
पता कर
ही लेता है
पता करने वाला
अन्दर की बातें
सारी सामने
वाले की खुद
समेटने के लिये
यूँ ही झुक
लिया कर
थोड़ा सा
कभी भी
बस लपेटने
के लिये
आती हैं
कलाबाजियाँ जिसे
कर ही लेता
है मजबूर
दुश्मन को
घुटने
टेकने के लिये
यूँ ही लिख
लिया कर
कबाड़
कुछ भी
कभी भी
कहीं भी
भेजने के लिये
देखने
आते ही हैं
‘उलूक’
की हरकतें
कुछ लोग
हमेशा ही
देखने के लिये ।
चित्र साभार: Hypergrid Business
लिया कर
कुछ कभी भी
बस देखने के लिये
जिंदगी
कट जाती है
उसकी भी
जिसने आँखे
ताड़ कर पूरे को
पूरा ही घूरा हो
अपनी आँखे
सेकने के लिये
यूँ हीं कह
दिया कर
कुछ भी कभी भी
बस फेंकने के लिये
पता कर
ही लेता है
पता करने वाला
अन्दर की बातें
सारी सामने
वाले की खुद
समेटने के लिये
यूँ ही झुक
लिया कर
थोड़ा सा
कभी भी
बस लपेटने
के लिये
आती हैं
कलाबाजियाँ जिसे
कर ही लेता
है मजबूर
दुश्मन को
घुटने
टेकने के लिये
यूँ ही लिख
लिया कर
कबाड़
कुछ भी
कभी भी
कहीं भी
भेजने के लिये
देखने
आते ही हैं
‘उलूक’
की हरकतें
कुछ लोग
हमेशा ही
देखने के लिये ।
चित्र साभार: Hypergrid Business