जब सुनी थी
उसने इसके आने की खबर
ये आया था
नये सपने अपने ले कर अपने साथ ही
वो गया
अपने पुराने हो चुके
अपने पुराने हो चुके
सपनों को साथ ले कर
इसके सपने इसके साथ रहे
रहते ही हैं
किसे फुर्सत है
अपने सपनों को छोड़
सोचने की
किसी और के सपनों की
किसी और के सपनों की
अब ये जा रहा है
किसी तीसरे के आने के समाचार के साथ
सपने इसके भी हैं
इसके ही साथ में हैं
उतने ही हैं जितने वो ले कर आया था
कोई किसी को
कहाँ सौंप कर जाता है
कहाँ सौंप कर जाता है
अपने सपने
खुद ही देखने खुद ही सींचने
खुद ही उकेरने खुद ही समेटने पड़ते हैं
खुद के सपने
कोई नहीं
खोलना चाहता है
अपने सपनों के पिटारों को
खोलना चाहता है
अपने सपनों के पिटारों को
दूसरे के सामने
कभी डर से
सपनों के सपनों में
मिल कर खो जाने के
मिल कर खो जाने के
कभी डर से
सपनों के पराये हो जाने के
कभी डर से
सपनों के सच हो खुले आम
दिन दोपहर मैदान दर मैदान
बहक जाने के
इसी उधेड़बुन में
सपने
सपने
कुछ भटकते
चेहरे के पीछे निकल कर झाँकते हुऐ
चेहरे के पीछे निकल कर झाँकते हुऐ
सपनों की ओट से
बयाँ करते
सपनों के आगे पीछे के सपनों की
परत दर परत
परत दर परत
पीछे के सपने
खींचते झिंझोड़ते सपनों की भीड़ के
बहुत अकेले
अकेले पड़े सपने
अकेले पड़े सपने
सपनों की
इसी भगदड़ में
समेटना सपनों को किसी जाते हुऐ का
इसी भगदड़ में
समेटना सपनों को किसी जाते हुऐ का
गिनते हुऐ अंतिम क्षणों को
किसी का
समेरना उसी समय सपनों को
समेरना उसी समय सपनों को
इंतजार में
शुरु करने की
अपने सपनों के कारवाँ अपने साथ ही
बस वहीं तक
जहाँ से लौटना होता है हर किसी को
जहाँ से लौटना होता है हर किसी को
एक ही तरीके से
अपने सपनों को लेकर वापिस अपने साथ ही
कहाँ के लिये
क्यों किस लिये
क्यों किस लिये
किसी को नहीं सोचना होता है
सोचने सोचने तक
भोर हो जाती है हमेशा
लग जाती हैं कतारें
सभी की इसके साथ ही
सभी की इसके साथ ही
अपने अपने सपने
अपने अपने साथ लिये
समेटने समेरने बिछाने ओढ़ने लपेटने के साथ
लौटाने के लिये भी
लौटाने के लिये भी
नियति यही है
आईये फिर से शुरु करते हैं
आगे बढ़ते हैं
अपने अपने सपने
अपने अपने साथ लिये
कुछ दिनों के लिये ही सही
बिना सोचे लौट जाने की बातों को
शुभ हो मंगलमय हो
जो भी जहाँ भी हो जैसा भी हो
सभी के लिये
सब मिल कर बस दुआ
और
दुआ करते हैं ।
चित्र साभार: www.clipartsheep.com