कठिन नहीं बहुत आसान होता है
बंधन बहुत छोटा
और गठबंधन आसमान होता है
गठबंधन नहीं होता है जहाँ
अंदर अंदर ही घमासान होता है
बंधन होने से कहीं भी
बंधने वाला बहुत परेशान होता है
मोटी रस्सी में बंधी छटपटाती
एक छोटी सी जान होता है
गठबंधन होने से
सभी का जीना आसान होता है
कई जिस्म होते हैं कई जाने होती हैं
पता कहाँ चलता है कहाँ दीन कहाँ ईमान होता है
भूल जाता है हमेशा
घर में भी तो होता है और यही होता है
आज से नहीं कई जन्मों से होता है
माँ का बाप से बच्चों का माँ बाप से
पति का पत्नी से होता है
बंधन से शुरु होता है
चलता है बहुत धीमे धीमे
गठबंधन होते ही वही सब कुछ
दौड़ने के लिये तैयार होता है
क्या होता है अगर धर्म का धर्म से नहीं होता है
दिखाये भी कोई दिखावे के लिये
तब भी बहुत कमजोर होता है
क्या होता है अगर अधर्म का अधर्म से होता है
और बहुत मजबूत होता है
कैसा होगा
पहले से कहाँ महसूस होता है
शादी होने के बाद देखा जाये अगर
ज्यादातर शुरु होता है
बंधन होने से ही कुछ नहीं होता है
जब तक गठबंधन नहीं होता है
फिर गठबंधन से एक सरकार बनती
देख कर ‘उलूक’ क्यों तुझे कंफ्यूजन होता है
गठबंधन के लिये दिया गया जनादेश
नीचे से नहीं कहीं उपर से
दिये आदेश का प्रकार होता है
ईश्वर और अल्लाह की
एक नहीं कई बैठकों के बाद निकला
सरकार बनाने का आदेश
सबसे जानदार होता है
ऊपर की बड़ी बातों को
छोटी नजर से देखने वाले का
मुहँ काला और नजरिया बेकार होता है
बंधन हमेशा कमजोर और गठबंधन
हमेशा
हमेशा
जोरदार होता है ।
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