छोटे छोटे
फूल
रंग बिरंगे
और
कोमल
भी
बिखेरते हुऐ
खुश्बू
रंग
और
खुशियाँ
चारों तरफ
दिखता है
हर
किसी को
अपने
आस पास
आस पास
एक
इंद्रधनुष
पहुँचते
ही
ही
इस
दुनियाँ में
किसे
अच्छा
अच्छा
नहीं लगता
कोमल
अहसास
अपने पास
जिंदगी
की
दौड़
दौड़
शुरु होते
बिना पैरों के
‘ठुमुक
चलत
चलत
राम चंद्र
बाजत
बाजत
पैजनियाँ’
फिर
यही
अहसास
अहसास
बन जाते हैं
सतरंगी धागे
कलाई
के
के
चारों ओर
फिर
एक और
इंद्रधनुषी
छटा
बिखेरते हुऐ
सृष्टि
अधूरी होगी
समझ में
भी आता है
अनजाने
से
से
किसी पल में
बचपन
से
लेकर
लेकर
घर छोड़ते
नमी के साथ
और
लौटते
खुशी
के
के
पलों में
हमेशा
बहुत
जल्दी
बढ़ी होती
उँचाई के
साथ
झिझक
झिझक
जरूरी नहीं रही
बदलते
समय के साथ
मजबूत
किया है
इरादों को
सिक्के
के
के
दोनो पहलू
भी
जरूरी हैं
जरूरी हैं
और
उन दोनो
का
बराबर
बराबर
चमकीला
और
मजबूत होना
भी
भी
आज
का दिन
रोज के
दिन में
बदले
सभी दिन
साल के
तुम्हारे
तुम्हारे
यही
दुआ है
दुआ है
अपने लिये
क्योंकि
खुद की
ही
ही
आने वाली
पीढ़ियों
की
की
सीढ़ियों का
बहुत
मजबूत होना
बहुत
जरूरी है ।
चित्र साभार: http://retroclipart.co